
Dholpur Municipal Council Commissioner Ashok Sharma: धौलपुर नगर परिषद में एसीबी की ट्रैप कार्यवाही के बाद अब आयुक्त अशोक शर्मा ACB की रडार पर है. एसीबी की कार्यवाही के बाद आयुक्त से भी पूछताछ जारी है. इसी बीच, आयुक्त की लग्जरी लाइफ की भी काफी चर्चा है. अशोक कुमार ने संविदाकर्मी के तौर पर नौकरी ज्वॉइन की थी और पदोन्नति पाकर आयुक्त पद पर पहुंचे. हालांकि इस बीच राजनीतिक पहुंच से करियर में मदद मिलने की भी बात सामने आ रही है.
नेताओं से कई बार विवाद भी हुआ
आयुक्त के पास सरकारी गाड़ी के अलावा अन्य गाड़ियां भी बताई जा रही हैं. साथ ही सिक्योरिटी भी ले रखी है. हालांकि आयुक्त की लाइफस्टाइल जितनी चर्चित है, उतने ही विवादित भी. स्थानीय नेताओं से कई बार विवाद की नौबत भी आई.
2003 में कार्यालय सहायक के पद पर हुए नियुक्त
आयुक्त अशोक शर्मा ने वर्ष 2002 में प्राथमिक शिक्षा कार्यालय दौसा में संविदा पैरा शिक्षक के पद पर आवेदन किया था, लेकिन तत्कालीन जिला कलेक्टर दौसा ने निरस्त कर दिया था. राजनीतिक संपर्कों के चलते 2003 में अशोक शर्मा को बतौर संविदाकर्मी कार्यालय सहायक के पद पर दौसा में नियुक्ति मिली. इसके बाद प्रमोट होते-होते आयुक्त के पद तक पहुंच गए.
5 कर्मचारियों के ट्रैप होने के बाद शक के घेरे में
एसीबी ने कल (11 सितंबर) को बड़ी कार्रवाई करते हुए 5 कर्मचारियों को ट्रैप किया था. इसके बाद से नगर परिषद कार्यालय भ्रष्टाचार के मामले में घिर गया है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि आयुक्त बिल पास करने के एवज में 2 लाख रुपए, जबकि एईएन प्रिया झा बिल सत्यापन के नाम पर 70 हजार रुपए की रिश्वत की मांग कर रही थी. एईएन का सौदा ठेकेदार से 60 हजार रुपए में तय हो गया था.
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