Migratory Birds Flamingo: सर्दियों के मौसम में कई प्रवासी पक्षी राजस्थान आते हैं. इनमें फ्लेमिंगो यानी राजहंस इनमें बेहद खास हैं. आमतौर पर गर्मी बढ़ने के साथ ही घर लौट जाने वाले राजहंस अभी भी रडीडवाना में डेरा जमाए हुए हैं. उन्हें डीडवाना शहर की झीलें और सिंघी सरोवर सैकड़ों की संख्या में विचरण और कलरव करते देखा जा सकता है.
सुदूर स्थित ठंडे देश साइबेरिया से उड़कर हजारों मीलों का सफर तय करके भारत आने वाले फ्लेमिंगो कई दशकों से डीडवाना में ही अपना डेरा बनाने लगे हैं. इन पक्षियों को डीडवाना की आबोहवा काफी रास आई है, तो अब इनकी परवाज़ भी डीडवाना की पहचान बनती जा रही है.
पर्यावरणविद डॉ. अरुण व्यास की मानें तो ग्लोबल वार्मिग बढ़ने के बाद बीते कुछ समय से यह पक्षी सर्दी गुजरने के बाद भी डीडवाना में ही रुकने लगे हैं. इसके अलावा फ्लेमिंगो यहां आकर नेस्टिंग कर अपना कुनबा बढ़ाते हैं. इसी वजह से फ्लेमिंगो लंबे समय तक डीडवाना में रुकने लगे हैं.
डीडवाना की वेटलैंड, यहां का मौसम और तापक्रम फ्लेमिंगो पक्षियों के अनुकूल होने से यहां डेरा डालते हैं. वहीं, यहां प्रचुर मात्रा में भोजन भी उपलब्ध होता है. डीडवाना में फ्लेमिंगो को नील हरित शैवाल, डिंबर्क लार्वा, जलीय किट, घोंघे और छोटी मछलियां मिल जाती है, जो इनका मुख्य भोजन है.
उन्होंने कहा, प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थान नहीं मिलने के चलते फ्लेमिंगो को संकटग्रस्त श्रेणी का पक्षी माना गया है.उनके संरक्षण के लिए डीडवाना झील क्षेत्र व सिंघी सरोवर क्षेत्र को संरक्षित करने की आवश्यकता है, ताकि इन दुर्लभ पक्षियों को लुप्त होने से बचाया जा सके. साथ ही इन क्षेत्रों को पक्षी विहार जैसे पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकता है.