Rajasthan News: राजस्थान के डीडवाना जिले में मानसून पूरी तरह से सक्रिय है और खेतों में किसान फसलों की बुआई के साथ ही निराई, गुड़ाई के काम में व्यस्त हैं. लेकिन दूसरी ओर खेतों में खरपतवार का प्रकोप बढ़ गया है. इन दिनों खरीफ की फसलों में जंगली घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उग रहे हैं. किसान इसको लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं. किसानों को चिंता है कि खरपतवार को अगर समय पर काबू पाया गया तो फसलों में पैदावार कम होगी. वहीं इसे रोकने के लिए किसानों को आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है.
दवाओं के दाम बढ़ने से परेशान है किसान
खेतों में उगने वाली फसल को खरपतवार और कीटों से बचाने के लिए किसानों को समय-समय पर निराई, गुड़ाई और दवाओं का छिड़काव करना पड़ता हैं. कुछ किसान पारंपरिक तरीके से निराई गुड़ाई करके खरपतवार निकालते हैं. वहीं कुछ किसान ट्रैक्टर से दवाई छिड़कने का काम करते हैं. कुचामनसिटी के किसान परसराम बुगालिया का कहना है कि किसानों को बड़ी मात्रा में खरपतवार नाशक और कीटनाशक दवाएं खरीदनी पड़ती है. लेकिन हर साल दवाओं की कीमत बढ़ने से किसानों की चिंता बढ़ गई है.
खेती बन रही नुकसान का धंधा
खरपतवार नाशक दवा का प्रयोग करने से खेती की लागत बढ़ रही है. वहीं कीटनाशक दवाओं के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. इसका सीधा असर फसल की लागत मूल्य पर पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि जिस तेजी से फसल का लागत मूल्य बढ़ रहा है. इसके विपरीत फसल के मूल्य में वृद्धि नहीं हो रही है. इसलिए खेती लाभ के बजाय नुकसान का धंधा बनता जा रहा है.
फसलों की बोवनी कर चुके किसानों के खेतों में खरीफ की फसल 20 से 25 दिनों की हो चुकी है. ऐसे में फसलों को बचाने के लिए किसानों ने खरपतवार नष्ट करना शुरू कर दिया है. इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी किसानों को पारंपरिक तरीकों के अलावा वैज्ञानिक विधि से खरपतवार पर नियंत्रण का सुझाव दे रहे हैं.
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