
Diwali 2025: पूरे देश में इस समय दिवाली की तैयारियां जोरों पर हैं. बाजार रोशनी से नहाए हुए हैं, और हर तरफ खील, मिठाइयां और नए कपड़े खरीदने वालों की भीड़ उमड़ रही है. लेकिन, इन जगमग करती खुशियों के बीच राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक ऐसा पूर्व शाही घराना है, जो बरसों से दिवाली के दिन शोक मनाता आ रहा है. वह दीपोत्सव के दिन काला या डार्क ब्लू कपड़े पहनते है. इसके पीछे बहुत पुरानी मान्यता है.
दिवाली की शाम को पहन लेते है काले कपड़े
जयपुर का यह पूर्व शाही परिवार दिवाली की शाम को काले कपड़े पहन लेता है.इसके पीछे का कारण 300 साल से पुरानी एक लंबी परंपरा बताई जाती है. कहा जाता है कि पूर्व राज परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों के बलिदान को याद कर काले या डार्क ब्लू कलर के कपड़े पहनता है. शाम ढलते ही जयपुर का पूर्व राजपरिवार इसी तरह के कपड़ों में नजर आता . पहले गहरे नीले रंग के कपड़े पहने जाते थे, पर अब धीरे धीरे उनकी जगह डार्क ब्लू रंग के कपड़ों ने ले ली.

दिवाली पर काले कपड़े पहने हुए पूर्व शाही राजघराना
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ये सदस्य निभाते है आ रहा परम्परा
पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मिनी देवी, राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, पद्मनाभ सिंह, लक्ष्यराज सिंह, गौरवी सिंह समेत परिवार के सदस्य आज भी इस परम्परा को निभाते हैं.
राजपरिवार के शहीद सदस्यों को दी जाती है श्रद्धांजलि
पूर्व राजपरिवार के सदस्यों की माने तो 300 साल पहले दीपावली पर अमावस्या के दिन एक युद्ध हुआ था. इसमें जयपुर राजपरिवार के कई लोग शहीद हो गए थे. उन्हीं याद में दिवाली के दिन पूजा कर उन्हें किए जाते हैं. यह राजघराना इस दिन अपने आंगन में रोशनी के दीये तो जरूर जलाता है, लेकिन उन दीपकों की लौ में खुशियों की नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों के बलिदान की याद रोशन होती है.

श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पूर्व शाही राजघराना
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राजा सोध देव की मृत्यु और रानी का दुख
इसके अलावा एक और मान्यता यह भी है कि 10वीं शताब्दी में ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में कछवाहा राजा 'सोध देव' के निधन के बाद जब उनके भाई ने सिंहासन पर कब्जा जमा लिया तो परेशान होकर रानी अपने पुत्र 'दूल्हा राय' को लेकर राजस्थान के खोह (खोह-नागोरियान) इलाके में आ गईं. खोह के राजा चंदा मीना ने रानी को बहन का सम्मान दिया. दूल्हा राय की पढ़ाई का पूरा जिम्मा उठाया. लेकिन पति के भाई की इस हरकत पर गहरा रोष और नाराजगी जताने के लिए उन्होंने काली ड्रेस पहनकर दीपावली मनाई. इसके बाद से इसी तरह की दीपावली जयपुर राजपरिवार में मनाई जाने लगी.
साल 2024 की दिवाली मनाते हुए पूर्व शाही परिवार
पिछले साल 2024 की दिवाली पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर राजघराने के परिवार के सदस्यों के साथ दिवाली की कुछ तस्वीरें शेयर की थी. इन तस्वीरों में शोक और बलिदान के प्रति झुकी आंखों को साफ तौर पर देखा जा सकता है.

पद्मनाभ सिंह ने सोशल मीडिय पर शेयर की थी तस्वीरें
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कछवाह वंश से पूर्व राजपरिवार
जयपुर का पूर्व राजपरिवार खुद को भगवान राम का वंशज मानता है और यह कछवाहा वंश से संबंधित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करने और रावण का वध करने के बाद, माता सीता और लक्ष्मण के साथ इसी अमावस्या (दीपावली) के दिन अयोध्या लौटे थे.हालांकि, जयपुर शहर की स्थापना करने वाले पूर्व राजा सवाई जयसिंह द्वितीय के समय से ही, उनके वंशज एक अनोखी परंपरा निभाते आ रहे हैं.अपने वीर पूर्वजों के बलिदान को याद करते हुए, वे रोशनी के इस त्योहार को हमेशा काले वस्त्र पहनकर ही मनाते हैं.
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