
Jodhpur News: देशभर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जश्न का माहौल बना हुआ है. इसके लिए तैयारियां भी जोर शोर से चल रही है. 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जा रहा है. वहीं इस दिन को दिवाली के रूप में मनाने की अपील की गई है. वैसे तो हिंदू समाज राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारी में लगी ही है. लेकिन अब देश में इसे लेकर साम्प्रदायिक सौहार्द भी बढ़ने लगा है. ऐसा ही नजारा जोधपुर शहर से 25 किलो मीटर दूर सांगासनी गांव में देखने को मिला है. जहां मोयलो की ढाणी में सदियों से मिट्टी के बरतने बनाने वाले मुस्लिम समाज के लोग अब राम मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव को भव्य बनाने के लिए दीपक बना रहे है.
राजस्थान के जोधपुर जिले के आसपास के गावों में इस प्रतिष्ठा महोत्सव को यादगार बनाने के लिए लोगों ने उस दिन दिवाली मनाने की तैयारी शुरू कर दी है. जोधपुर में हर घर में 22 जनवरी को दीपक जलाकर दिवाली मनाई जाएगी. जिसको और भी भव्य बनाने के लिए मोयलो की ढाणी में रहने वाले करीब 150 घरों की बस्ती में दीपक बनाने का कार्य चल रहा है.
मुस्लिम समाज में उत्साह दिख रहा है
इस बार उन्होंने न केवल छोटे बल्कि ऑर्डर मिलने पर 5 किलो, 11 किलो और 21 किलो की दीपक भी बनाए है. जो सभी के लिए यह संदेश दे रहा है कि लोग भले ही कुछ भी कहें लेकिन राम मंदिर सब के लिए है और मुस्लिम समाज में भी वैसा ही उत्साह है जैसा आम हिन्दू समाज में है. मंदिरों में दिए जलाए जाएगें तो उसकी तैयारी भी मुस्लिम समाज के लोग ही कर रहे हैं.
मिट्टी के बर्तन बनाने में आती है परेशानी
पिछले लंबे समय से असगर अली, हासम खान और न जाने कितने ही मुस्लिम भाई इस काम पर लगे है. उन लोगों ने बताया कि आम दिनों में मिट्टी के घड़े बनाने का काम करते हैं और दिवाली पर दीपक बनाते है. लेकिन इस बार खासतौर पर राम मंदिर को लेकर बड़े दीपक भी बनाए है. जो लोगों ने पसंद भी किए है और ऑर्डर भी मिल रहे हैं. ग्रामीण परिवेश होने के बावजूद इन लोगो में दीपक बनाने को लेकर भी खासा उत्साह नजर आ रहा था. वहीं इन लोगों का कहना है कि इन्हें मिट्टी के बर्तन और दीपक बनाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि जहां से यह मिट्टी लाते हैं वहां गांव वालों ने मना कर दिया वहीं उनके गांव में सीवरेज की भी काफी समस्या है. हमारे जोधपुर संवाददाता ने गांव से लेकर इन परिवारों से बातचीत की कि कैसे यह लोग मिट्टी के बर्तन मटकिया और अन्य सामग्री बनाते हैं और उनमें किस तरह से परिवार का भी सहयोग रहता है.