
Rajasthan News: भारत के पूर्व चीफ जस्टिस डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ का कहना है कि AI भले ही सीटी स्कैन को पढ़कर समझ ले, लेकिन मरीज को पढ़ने का हुनर तो चिकित्सक के पास ही रहेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एल्गोरिदम में एकत्रित सूचना को एक साथ लाने, उसका विश्लेषण करने और उसे एक ऐसे पैमाने और गति पर प्रस्तुत करने की क्षमता है. जो मानव मस्तिष्क के लिए अज्ञात है और इसलिए, एक बड़ी चुनौती जिसका हम पेशेवरों के रूप में सामना करते हैं और आप डॉक्टरों का सामना करेंगे. वह है आपके आस-पास हो रहे बदलाव. एक डॉक्टर के रूप में, आपके पास मानव मन और मानव शरीर को महसूस करने का अनुभव है. लेकिन कुछ ऐसा है जिसका विकल्प तकनीक कभी नहीं हो सकती. वे सोमवार को यहां एम्स में पीजी स्टूडेंट्स के नए बैच के सत्र के शुभारंभ के मौके पर अपनी बात रख रहे थे.
उन्होंने कहा कि चिकित्सा संभावनाओं से भरी हुई है, लेकिन चिकित्सा अभी भी अज्ञात का विज्ञान है. ज्ञात के विज्ञान और अज्ञात के विज्ञान के बीच ही एक डॉक्टर का असली काम वास्तव में निहित है. 25 साल पहले किसी ने भी पैट के एमआरआई स्कैन को पढ़ने की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता के बारे में नहीं सोचा होगा. एआई स्कैन, या सीडी स्कैन इतनी गति और सटीकता के साथ करता है जो शायद मानव मस्तिष्क को भी नहीं पता है. क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने जो किया है वह सूचना को नेटवर्क करने, सूचना को एकत्रित करने की इसकी क्षमता है. हालांकि, अब यह एक बहस का मुद्दा है कि क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्कैन को पढ़ने की क्षमता अनुभव में प्रशिक्षित मानव की क्षमता से भी बेहतर है. कुछ ऐसा जो शायद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पास केवल डेटा नेटवर्क का अनुभव हो सकता है.
अब लोग ज्ञान और सूचना से लेस हैं, सवाल करने लगे हैं
आज लोग जजों से भी सवाल करते हैं. वे अपने वकीलों से सवाल करते हैं और वे अपने डॉक्टरों से भी सवाल करते हैं. ऐसा इसलिए हुआ है कि हम सूचना के युग में रहते हैं. हम ज्ञान के युग में रहते हैं. जब ज्ञान और सूचना का समाज के एक हिस्से पर एकाधिकार नहीं रहा, ज्ञान, शायद ऐसा जो इंटरनेट के पास है. लेकिन फिर हर कोई जज बन गया है. हर कोई वकील बन गया है. हर कोई सोचता है कि वह दवा के बारे में जानता है, और सभी मरीज सोचते हैं कि वे जानते हैं, कि वे इलाज के सभी विकल्पों को जानते हैं, जो डॉक्टर जानता है. ऐसे में डॉक्टर के सामने चुनौती और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि अब आप केवल उन मरीजों से ही नहीं निपट रहे हैं जो अनजान नहीं हैं. आप ऐसे लोगों से निपट रहे हैं जो अत्यधिक सूचित हैं, लेकिन उससे भी अधिक, आप ऐसे लोगों से भी निपट रहे हैं जिनके पास विश्वास का तत्व हो भी सकता है और नहीं भी.
चंद्रचूड़ ने डॉक्टर्स को दी तीन सीख
परोपकार: चिकित्सा पद्धति का पहला और सबसे बड़ा सिद्धांत है परोपकार, जिसे डॉक्टर के रूप में पालन करना चाहिए. यह मानता है कि आपको अपने नियंत्रण में आने वाली हर चीज का उपयोग करना चाहिए, आपका सारा ज्ञान, आपका व्यावहारिक अनुभव, सुनने और संवाद करने का आपका अर्जित कौशल, मानव मन और शरीर के लाभ के लिए, दूसरों के लिए लाभकारी होना चाहिए.
गैर हानिकारकता: जो कुछ भी आप करते हैं, उसका परिणाम उस रोगी के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए जिसका आप इलाज कर रहे हैं. इसलिए आप किसी रोगी का इलाज सिर्फ इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि आपने राजस्व के लक्ष्य को पूरा करने के लिए किसी निजी अस्पताल में इलाज करवाया है. आप किसी ऐसे उपचार का सुझाव नहीं देंगे या ऐसे रोगी का सुझाव नहीं देंगे जिसे उस उपचार की ज़रूरत नहीं है.
व्यवसाय नहीं, सेवा करें: आपको दवा की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करना चाहिए. चाहे सार्वजनिक, चाहे निजी अस्पताल में काम करे, इतना ख्याल रखे कि मरीज को सही दवा व सही इलाज दें. उन्होंने लाखों के खर्च वाले इलाज महज कुछ हजार में हो जाने वाले अपने ससुर व एक दोस्त से जुड़े उदाहरण देते हुए कहा कि कमाई करने वाले नहीं, सेवा करने वाले बनना चाहिए.
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