
Rajasthan: इमरजेंसी को 50 साल हो गए हैं, लेकिन उन काले दिनों की याद आज भी मन-मस्तिष्क पर वैसे ही ताज़ा है. रिटायर्ड प्रोफसर पीके पांडेय बताते हैं कि उस दौर में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था. इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल में 25 जून 1975 की मध्य रात्रि से सभी विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई थीं. सभी नेता मीसा के तहत बंद कर दिए गए थे.
बिजल और पानी का कनेक्शन काट दिया
रिटायर्ड प्रोफसर पीके पांडेय कहते हैं, "मेरे पिता लोकतंत्र सेनानी कृष्ण पारीक को जेल में डाल दिया गया. हमारे परिवार को तरह-तरह की यातनाएं दी गई. हमारे घर की बिजली और पानी का कनेक्शन काट दिया गया. उस समय मेरी उम्र 10 साल के आस पास थी, मुझ पर भी डकैती का केस लगा दिया गया और तरह तरह से मेरे परिवार को परेशान किया गया."
19 महीने पिता जेल में रहे, खाने तक लाले पड़े
उन्होंने कहा, "मेरे पिता उस समय मीसा के तहत 19 महीने जले में बंद थे. खाने तक के लाले पड़ गए. आज भी आपातकाल की उस काली रात को मेरी माता दुर्गा देवी पारीक याद करती हैं, तो मेरी बुजुर्ग माता सिहर जाती हैं. यह सब यातनाएं हमें, इसलिए झेलनी बड़ी क्योंकि मेरा पिता लोकतन्त्र सेनानी का जुड़ाव RSS से था. इंदिरा गांधी उस दौर में हर उस आवाज को कुचलना चाहती थी, जो उसके खिलाफ थी."
रिश्तेदारों तक ने पल्ला झाड़ लिया था
पीके पांडेय ने कहा, "मेरे खुद के रिश्तेदारों तक ने पल्ला झाड़ लिया था. कहा कि हमसे नका कोई रिश्ता नहीं है. आस पड़ोस वाले भी हमसे दूरी बनाकर रहते थे. उनसे डर लगता था कि कहीं ये पता ना चल जाए कि हमसे उनका संबंध है. उस समय पुलिस उन्हें भी प्रताड़ित करने लगती थी. पुलिस डाकू बताकर हमें थाने ले जाकर प्रताड़ित करते थे. हमे डाकू भी कहते थे." उन्होंने कहा कि उस समय के चूरू के मजिस्ट्रेट ने कहा कि इतना छोटा बच्चा डाकू कैसे हो सकता है. उन्होंने ही केस हटाया.

दुर्गा देवी पारीक ने कहा कि आपातकाल को याद करके कांप जाते हैं.
आपातकाल को याद करके कंपकपी होती है
दुर्गा देवी पारीक ने कहा कि आपातकाल के समय को याद करते हैं तो कंपकपी होती है. मोहल्ले के लोग भी बात करने से घबराते थे. पुलिस घर आई तो कुछ नहीं दिख रहा था. सिर्फ पुलिस ही पुलिस दिख रही थी. मेरे पति पूरे 19 महीने जेल में रहे. घर का राशन भी खत्म हो गया था. पड़ोसियों ने भी मदद नहीं की.
आपातकाल के समय पीके पांडेय की उम्र 10 साल थी. पीके पांडेय कई पदों पर रहे. दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे. टीटी महाविद्यालय के प्रिंसपल भी थे. उन्होंने कहा कि अब भजनलाल सरकार आई तो लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया जाने लगा.
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