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Rajasthan: दो माह में विलुप्तप्राय गोडावण ने दिए 6 अंडे, सम सेंटर में अंडों से दो कैप्टिव-ब्रेड चूजे निकले

पिछले कुछ सालों से क्लोजर में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं. वर्तमान में 70 से ज्यादा क्लोजर बने हुए हैं. इन क्लोजर में मानवीय दखल बिल्कुल नहीं है. ऐसे में मादा गोडावण को सुरक्षित वातावरण मिलने पर वह प्रजनन करती है. लगातार प्रजनन बढ़ने के पीछे वजह क्लोजर की सुरक्षा ही है.

Rajasthan: दो माह में विलुप्तप्राय गोडावण ने दिए 6 अंडे, सम सेंटर में अंडों से दो कैप्टिव-ब्रेड चूजे निकले
गोडावण के चूजे

विलुप्तप्राय राजस्थान का राज्य पक्षी "द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड" गोडावण कप बचाने की जदोजहद रंग लाने लगी. जैसलमेर के ब्रिडिंग सेंटर में एक बार फिर गोडावण का कुनबा बढ़ा है. पिछले सप्ताह GIB संरक्षण प्रजनन केंद्र सम में अंडों से दो और कैप्टिव - ब्रेड चूजे निकले, जिससे GIB के कैप्टिव ब्रीडिंग में तेज़ी आई. ये अंडे कैप्टिव-पालित मादा शार्की और टोनी द्वारा दिए गए. दोनों चूजे स्वस्थ हैं और उन्हें वैज्ञानिक निगरानी में पाला जा रहा है.

जैसलमेर के फील्ड में दो नन्हें गोडावण के अलावा 6 अंडे भी नजर आए हैं. इतना ही नहीं सम ब्रीडिंग सेंटर में 2019 में कलेक्ट किए गए अंडों से निकली मादाएं अब प्रजनन करने लगी है. पूर्व में दो मादा गोडावण अंडे दे चुकी है. हाल ही में कैप्टिव पालित मादा शार्की व टोनी ने भी नन्हें गोडावणों को जन्म दिया है. दोनों चूजे वैज्ञानिकों की देखरेख में पूरी तरह से स्वस्थ बताए जा रहे हैं. गोडावण का प्रजनन काल अप्रैल से अक्टूबर तक चलता है. दो साल पहले सर्वाधिक 13 नन्हें गोडावण फील्ड में नजर आए थे. इस बार शुरूआत इतनी अच्छी है कि पिछले सारे रिकार्ड टूट सकते हैं. शुरूआती दो माह में फील्ड में 6 अंडे व दो नन्हें गोडावण नजर आ चुके हैं.

डीएनपी क्षेत्र में नजर आ रहे गोडावण

वर्तमान में जो भी गोडावण नजर आ रहे हैं वह डीएनपी क्षेत्र में है. यहीं से अंडे भी ब्रीडिंग सेंटर के लिए कलेक्ट किए जा रहे हैं. हालांकि फील्ड फायरिंग रेंज में गोडावण ज्यादा संख्या में हो सकते हैं. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से जब भी गोडावण की गणना होगी तब फायरिंग रेंज में मौजूद गोडावणों की संख्या सामने आएगी. पिछले सात साल से यह गणना नहीं हुई है.

70 से ज्यादा क्लोजर बने

पिछले कुछ सालों से क्लोजर में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिए गए हैं. वर्तमान में 70 से ज्यादा क्लोजर बने हुए हैं. इन क्लोजर में मानवीय दखल बिल्कुल नहीं है. ऐसे में मादा गोडावण को सुरक्षित वातावरण मिलने पर वह प्रजनन करती है. लगातार प्रजनन बढ़ने के पीछे वजह क्लोजर की सुरक्षा ही है. हाल ही में क्लोजर में लुप्त प्राय गोडावण व रेड हेडेट वल्चर एक साथ नजर आए, यह क्लोजर की आवश्यकता व महत्ता को दर्शाता है.

'सुरक्षित माहौल मिलता है वहीं पर ही ये प्रजनन करती है'

डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ डॉ. आशीष व्यास ने बताया कि गोडावण प्रजाति शर्मीली होती है यह मानवीय दखल के बीच रहना कम पसंद करते हैं. जहां इन्हें सुरक्षित माहौल मिलता है वहीं पर ही ये प्रजनन करती है. पिछले कुछ सालों में प्रजनन दर बढ़ी है.यह सुखद संकेत है कि आने वाले बारिश के मौसम के बाद बड़ी संख्या में मादा गोडावण प्रजनन कर सकती है. डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिकों की देखरेख में यहां गोडावण काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. मादा गोडावण जब अंडा देती है तो वह खुद उसे सुरक्षा प्रदान करती है लेकिन जब दिन में दो तीन बार वह पानी पीने जाती है तब अंडे को कोई अन्य पशु या पक्षी नुकसान न पहुंचा दे, इसलिए विभाग का कर्मचारी चौबीसों घंटे दूर से उसकी निगरानी करता है.

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