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This Article is From Oct 08, 2023

अजमेर में चल रहा था नकली नोटों का सिंडीकेट, दिल्ली क्राइम ब्रांच ने किया पर्दाफाश

दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस को दिल्ली में नकली नोटों को लेकर इनपुट मिला था. उसके बाद पुलिस ने ग्राहक बनकर इस गैंग से संपर्क किया. जिस पर नागौर का शकूर और डूंगरपुर का लोकेश यादव करीब छह लाख रुपए के नकली नोट लेकर दिल्ली पहुंचे, जहां पर पुलिस ने उनको धर दबोचा और उसके बाद पूरी गैंग का पर्दाफाश हो गया.

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अजमेर में चल रहा था नकली नोटों का सिंडीकेट, दिल्ली क्राइम ब्रांच ने किया पर्दाफाश
प्रतीकात्मक तस्वीर
बांसवाड़ा:

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली नोट का कारोबार करने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है. इसमें से दो आरोपी हिमांशु जैन और लोकेश यादव डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा क्षेत्र के रहने वाले हैं. इसमें लोकेश का हाल ही में तृतीय श्रेणी शिक्षक के रुप में चयन भी हो गया था, लेकिन ज्वाइनिंग नहीं हुई थी. 

पुलिस के मुताबिक गिरोह का सरगना नागौर निवासी शकूर ने एक वेब सीरीज से आइडिया लेकर अपना एक गैंग बनाया. शकूर ने अपने गैंग में लोकेश, शिव, संजय और हिमांशु जैन जैसे लोगों को शामिल किया. फिर इन लोगों ने जाली नोट छापना शुरू कर दिया. गैंग जाली नोट को लेकर दिल्ली-एनसीआर में भी सक्रिय था. आरोपी आमतौर पर जाली नोट छोटे कारोबारियों को बेचा करते थे.

काले धंधे का बना गैंग 

डूंगरपुर के सागवाड़ा का रहने वाला बीए पास हिमांशु जैन शकूर और लोकेश के साथ मिलकर नकली नोटों के लिए ग्राहक तलाशता था. पुरणवास गांव में रहने वाले हिमांशु के पिता शांतिलाल गांव में खेती करते हैं. हिमांशु जैन ने अपना गिरोह बढ़ाने के लिए इस काले धंधे में कुछ लोगों को जोड़ रहा था. इस गैंग में सागवाड़ा तहसील के पादरा गांव का रहने वाला 28 साल का लोकेश यादव भी शामिल था. उसको नोटों की डिलीवरी के लिए कस्टमर ढूंढना और शकूर के साथ डिलीवरी देने का काम दिया था.

लोकेश की होनी थी सरकारी नौकरी में ज्वाइनिंग 

लोकेश के पिता रंजीत यादव बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में लेबर का काम करते हैं. उसके एक भाई और एक बहन है. लोकेश बीए बीएड है और गांव में ई-मित्र चलाता है. हाल ही में उसका तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्ति भी हो गई है. लेकिन ज्वाइनिंग से पहले ही वह पकड़ा गया. 

दिल्ली क्राइम ब्रांच ने ग्राहक बनकर किया पर्दाफाश

दिल्ली क्राइम ब्रांच पुलिस को दिल्ली में नकली नोटों को लेकर इनपुट मिला था. उसके बाद पुलिस ने ग्राहक बनकर इस गैंग से संपर्क किया. जिस पर नागौर का शकूर और डूंगरपुर का लोकेश यादव करीब छह लाख रुपए के नकली नोट लेकर दिल्ली पहुंचे, जहां पर पुलिस ने उनको धर दबोचा और उसके बाद पूरी गैंग का पर्दाफाश हो गया. यह गैंग अजमेर में रहकर जाली नोट छापने का काम करती थी.

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