Fake Degree Racket in Rajasthan: राजस्थान में फर्जी डिग्री बनाने वाली गिरोह पर लगातार कार्रवाई जारी है. एक दिन पहले राजस्थान पुलिस की स्पेशल टीम SOG ने चूरू की एक यूनिवर्सिटी पर छापा मारकर वहां से तीन शातिरों को गिरफ्तार किया था. इन शातिरों से पूछताछ के बाद अब पुलिस ने गुरुवार को तीन और शातिरों को गिरफ्तार किया है. ऐसे में फर्जी डिग्री बनाने वाले 6 आरोपियों को एसओजी ने बीते दो दिनों में गिरफ्तार कर लिया है. इनसे पूछताछ की जा रही है. जिसके बाद इस गोरखधंधे में शामिल और भी लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है.
फेक डिग्री बनाने वालों में पूर्व सरकारी कर्मी भी शामिल
दरअसल गुरुवार को फर्जी डिग्री बनाने और प्रिंट करने के मामले में 3 और आरोपियों को एसओजी ने गिरफ्तार किया है. इसमें शिक्षा निदेशालय में पूर्व में कार्यरत मनदीप सांगवान, पूर्व एलडीसी जगदीश और फ़र्ज़ी डिग्री प्रिंट करने वाले राकेश कुमार को एसओजी ने अनुसंधान के बाद गिरफ़्तार कर लिया है. इस मामले में एसओजी ने 3 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया था.
फेक डिग्री से पीटीआई भर्ती पास कर शिक्षक बनीं महिला
आरोपी मनदीप और जगदीश दलाल सुभाष के माध्यम से मंदीप की पत्नी सुमन को ओपीजेएस विश्वविद्यालय शिखोहाबाद से फ़र्जी डिग्री दिलवाई और इसी डिग्री से पीटीआई भर्ती में शामिल हुई. दलाल सुभाष पूर्व से इस मामले में गिरफ्तार है. पहले जो फर्जी डिग्री मिली उसने तारीख़ 15 अक्तूबर अंकित थी. इससे जॉइनिंग में दिक़्क़त होती. इस पर दोनों ने चर्चा की और दूसरी फ़र्जी डिग्री निकालकर उस पर 23 सितंबर तारीख़ अंकित कर दी. पीटीआई परीक्षा की विज्ञप्ति अनुसार बीपीएड की डिग्री 25 सितंबर से पूर्व की होनी चाहिए थी. इसलिए दोनों ने ऐसा किया. सुमन अभी शारीरिक शिक्षक के पद पर तैनात हैं.
सुभाष, मनदीप, जगदीश अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में खेल आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए भी तिकड़म लगाता था. पहले मनदीप और जगदीश योग्य अभ्यर्थियों को ढूँढकर सौदा तय करते. उसके बाद सुभाष के माध्यम से opjs या अन्य विश्वविद्यालय में फ़र्ज़ एडमिशन करवाते.
डमी खिलाड़ी उतारते मेडल दिलवाते और फिर बाद में उन्हीं के नाम से बनता थी फेक डिग्री
अभ्यर्थियों के एडमिशन के साथ साथ जिस भी खेल की प्रतियोगिता हैं उसके प्रोफेशनल खिलाड़ियों का भी एडमिशन करवाते. प्रोफेशनल खिलाड़ियों को मैदान में उतारते और फर्जी अभ्यर्थियों को रिजर्व में रखते. कई बार डमी खिलाड़ी भी उतारते और उन्हें मेडल दिलवाते थे. इससे भर्ती परीक्षाओं में मेडल के अंक अभ्यर्थियों को मिल जाते थे. इस पूरे काम में विश्वविद्यालय की भी मिलीभगत सामने आई है. अगर सुभाष और मनदीप किसी डिग्री की व्यवस्था नहीं कर पाते थे तो राकेश उसे अपनी प्रिंटिंग प्रेस में प्रिंट करा देता था. राकेश द्वारा और भी कई जाली दस्तावेज प्रिंट किए गए हैं.
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