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This Article is From Mar 09, 2024

लोकसभा चुनाव से पहले बोले किसान 'जो सरकार हमारे हितों की बात करेगी वही देश पर राज करेगी' 

NDTV की टीम ने किसानों से बात की तो उनका दर्द छलक गया. उनका कहना है कि देश में अन्नदाताओं की बात तो सभी करते है, चुनावो में वोट मांगने सभी आते हैं, लेकिन किसानों का दर्द बांटने कोई नही आता है.

लोकसभा चुनाव से पहले बोले किसान 'जो सरकार हमारे हितों की बात करेगी वही देश पर राज करेगी' 
हड़ताल पर बैठे किसान

Rajasthan News: लोकसभा चुनाव को लेकर लोगों को काफी सारी उम्मीदे हैं. फिलहाल टोंक सवाई माधोपुर सीट के लिए अभी तक भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं. वहीं राजस्थान का टोंक जिला इन दिनों किसान आंदोलन की राह पर हैं. बीसलपुर बांध के विस्थापितों के साथ ही 1876 करोड़ की लागत से बन रहे ईसरदा बांध के विस्थापित भी मुआवजा मांग रहे हैं. इन दिनों ईसरदा बांध के पास धरना दे रहे लोगों ने 11 मार्च को जयपुर कूच का ऐलान भी कर चुके हैं. वहीं दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर मुख्य मांग MSP सहित अन्य मांगों पर दिल्ली-जयपुर कूच का प्रयास किसान कर चुके हैं. 

टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा सीट का इतिहास

टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर 21 लाख 33 हजार 692 मतदाता हैं. इस क्षेत्र में 2 जिले टोंक और सवाई माधोपुर शामिल हैं. इसमें कुल 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं. इसमें 4 सीट पर भाजपा और 4 सीट पर कांग्रेस के विधायकों की पिछले विधानसभा चुनाव में जीत हुई है. परिसीमन के बाद 2009, 2014 और 2019 के पिछले तीन चुनावों में 1 बार कांग्रेस के नमोनारायण मीणा और पिछले दो चुनावों में भाजपा के सुखबीर सिंह जौनापुरिया की जीत हुई है. 

जातिगत वोटर्स की बात की जाए तो इस क्षेत्र में एसटी के 3 लाख 25 हजार लगभग मतदाता हैं. वहीं गुर्जर मतदाताओं की संख्या लगभग 2 लाख 80 हजार है तो मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 2 लाख 15 हजार है. वहीं सबसे ज्यादा मतदाता एससी हैं, जिनकी संख्या लगभग 4 लाख 40 हजार है. वहीं जाट मतदाताओं की संख्या 1 लाख 50 हजार है.

पिछले तीन चुनावों के परिणाम-

2009 नमोनारायण मीणा 347
2014 सुखबीर सिंह जौनापुरिया 1 लाख 50 हजार
2019 में सुखबीर सिंह जौनापुरिया 1 लाख 11 हजार 2891

टोंक जिले के किसान अपनी मांगों को लेकर इन दिनों अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. वहीं अपनी मांगों को लेकर किसान नेता रामपाल जाट और रामेश्वर चौधरी के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे हैं. वह ईसरदा बांध के पास धरना प्रदर्शन का दौर भी जारी है. वहीं 11 मार्च को किसानों का अजमेर और टोंक से जयपुर के लिए कूच का कार्यक्रम भी तय है.

किसानों की प्रमुख मांगे-  

ईसरदा बांध डूब क्षेत्र का मुआवजा सिंचित जमीन का दें ,जन आधार कार्ड को आधार बनाकर प्रत्येक सदस्य को 10 लाख रुपये दिये जाए. पूर्व अवार्ड जारी को 2017 में किया गया जिसे 5 वर्ष की समय अवधि खत्म होने के कारण अवार्ड प्रक्रिया पुनः शुरू हो. जब तक पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन नहीं हो तब तक किसी भी किसान की जमीन परिसम्पतियों को खुर्द-बुर्द नहीं करें प्रत्येक किसान परिवार को 500 वर्गगज आवासीय व पशुपालन परिसर उपलब्ध कराना आवश्यक है. नया सर्वे करतें समय विस्थापित परिवार का मुखिया की सहमति व्यक्त करें ताकि समस्त परिसम्पतियों का आंकलन सही हो सकें. तीन वर्षों से निर्मित पक्का मकान, पशुओं आश्रय, ट्यूबवेल, कुआं, पाईप लाईन, सहित अन्य सम्पत्ति का भी मुआवजा दें. सिंचित भूमि सम्पूर्ण अधिग्रहण होने के कारण एक एकड़ और दो एकड़ जमीन प्रभावित किसान परिवारों को जो भी अधिक हों वह दिया जाए. प्रथम चरण और द्वितीय चरण का मुआवजा एक ही बार में सम्पूर्ण मुआवजा दिया जाए. सम्पूर्ण जमीन खत्म होने की स्थिति में परिवार के एक सदस्य को नौकरी दें.

उनियारा तहसील के 95 गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण विसंगतियों के कारण एक ही किसान की जमीन कई हिस्सों में विभक्त हो गई. गैर मुमकिन रास्ते को भी खातेदारी में परिवर्तन कर दिया. जमीनों में रकबा घटा दिया गया, खेती की मैर को ही खसरा नंबर अलॉट कर दिया. प्रत्येक गांव के किसानों ने आपत्ति जताई उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई . इसका तत्काल ही ड्रोन सर्वेक्षण निरस्त किया जाये.

राजस्थान सरकार एम.एस.पी. पर खरीद का प्रभावी कानून बनाए-
(क)- एम.एस.पी. से कम दामों में क्रय-विक्रय को रोकने के लिए राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 की धारा 9[2][xii] में प्रावधान है, जो अभी बाध्यकारी नहीं है. इसे एक शब्द बदलकर बाध्यकारी बनाने के लिए विधानसभा में कानून बना सकते हैं. 
(ख)- राजस्थान कृषि उपज मंडी अधिनियम में 1963 के नियम 64 [3] में परिवर्तन कर न्यूनतम समर्थन मूल्य से खुली नीलामी बोली आरंभ होंगी. 

ई आर सी पी परियोजना को मूल रूप से 50 प्रतिशत के आधार पर केन्द्र सरकार लागू करें और मध्यप्रदेश विधानसभा और राजस्थान के मुख्यमंत्री एम.ओ.यू. को सार्वजनिक किया जाए. निवाई, पीपलू के सिंचाई से वंचित गांवों को ईसरदा बांध से 4 टीएमसी पानी उपलब्ध कराया जायें.

बिसलपुर बांध से 1.56 टीएमसी छोड़ा गया और जिला कलेक्टर टोंक द्वारा 2.414 टीएमसी किसानों की दिलावे के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव जल संसाधन विभाग को पत्र लिखकर भेजा गया. जिसमें स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा 1 अक्टूबर 2023 से 31 अक्टूबर 2024 जो 13 माह होते हैं. बांध में आवक जुलाई माह में आरम्भ होती हैं. पानी की गणना वर्षा ऋतु से ही होती है. इस कारण टोंक के किसानों के हकों में 2.414 टीएमसी पानी देने के बाद भी पानी की कोई कमी नहीं होगी. इस प्रकार की विसंगति दूबारा उत्पन्न नहीं हो इसलिए परिक्षण करते हुए विसंगति को दूर करें.

पीपलू विधानसभा में बनास नदी में डोड़वाडी पंचायत के पास बालाजी मंदिर के पास मध्य भूमिगत जल्द वर्दी के लिए सर्फेस बेरियर का निर्माण करवाया जाए ताकि आस-पास के किसानों के 3 दर्जन गांवों में पानी की समस्या का निस्तारण हो सकें. 

किसान के बिजली कनेक्शन पर ढुलाई के नाम पर हजारों की लुट को बन्द करना और कृषि कनेक्शन नीति के बिन्दु संख्या 11.1 का विलोपन करनें से (ढुलाई शब्द का विलोपन होगा) और डिमांड जमा होने वालें किसानों को 45 दिनों में कम्प्लीटली कनेक्शन चालु होना.

सेवारामपुरा की बिसलपुर बांध से सिंचित जमीन को अवाप्ति मुक्त कराना. इसी जमीन में से पक्षपात करतें हुए भीलवाड़ा प्रभावशाली व्यक्ति की 6.7 बीघा जमीन को छोड़ दिया गया. पहले से ही सिंचित भूमि को असिंचित मानकर अवार्ड पर पुनः अवार्ड जारी के साथ विभिन्न गलतिया की थी. कलेक्टर टोंक द्वारा भी कमिश्नर आवासन मंडल को अवाप्त मुक्त करने की सहमति दी. 

डीएपी, यूरिया उर्वरक के साथ नैनों यूरिया, सल्फर जैसे अन्य उत्पाद को पद का दुर्पयोग और परिवार जनों को फायदा पहुंचाने वाले तत्कालीन कृषि अधिकारी के. के. मंगल जबरदस्ती रोकने असफल होने पर जबरदस्ती की पुनरावृत्ति न होने देना और फसल बीमा योजना से किसानों को मुआवजा नहीं दिलवा पाने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करें.

प्रत्येक ग्राम सेवा सहकारी समितियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद केंद्र स्थापित करके गांव में ही खरीद केन्द्र स्थापित कर किसानों को राहत दी जाए. जिसमें से प्रमुख बनेठा, उनियारा ,डोडवाडी पीपलु, डारडा हिन्द टोंक ग्राम सेवा सहकारी समितियों को खरीद केन्द्र बनाया जाये.

वर्ष 2017 में टोक जिले में गलती वस पोस मशीन में 4262.55 मेट्रिक टन के 93000 बेग यूरिया चढ़ गया. उसे शून्य करवाकर ताकि टोंक के किसानों को यूरिया, डीएपी के लिए लाईनों में लगना नहीं पड़ेगा.

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