Churu News: चूरू जिले में एक फर्जी डॉक्टर ने चोरी की डिग्रियों का इस्तेमाल कर सैकड़ों गर्भवती महिलाओं के सोनोग्राफी टेस्ट करके उन महिलाओं के जीवन के साथ किया खिलवाड़ किया है. मामला उजागर होने के बाद भी चिकित्सा विभाग को उस फर्जी डॉक्टर के नाम नहीं पता चल पाया है. यह सनसनीखेज मामला सरदारशहर से सामने आया है. यहां पर सरदारशहर के राजकीय अस्पताल के पीछे स्थित शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर में फर्जी तरीके से एक फर्जी डॉक्टर 10 दिनों तक गर्भवती महिलाओं की जिंदगी के साथ खेलता रहा.
अन्य डॉक्टर के दस्तावेज चुरा कर ली मान्यता
शेखावाटी डायग्नोस्टिक में एक व्यक्ति ने तेलंगाना राज्य में काम कर रहे डॉ. प्रवीण कुमार अजमेरा के डॉक्यूमेंट चुराकर फर्जी तरीके से सीएमएचओ को अपने डॉक्यूमेंट बताकर सोनोग्राफी करने की परमिशन ले ली, इसके बाद से लगातार फर्जी सोनोग्राफी करता रहा.
शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर
इतना ही नहीं यह खेल कहीं ना कहीं शेखावाटी डायग्नोस्टिक सेंटर और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से चलता रहा, क्योंकि सोनोग्राफी को लेकर पीसीपीएनडीटी एक्ट काफी सख्त है. इस एक्ट के तहत डॉक्टर को व्यक्तिगत रूप से चिकित्सा विभाग के अधिकारी के सामने प्रस्तुत होना पड़ता है और अपने डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन करवाना होता है. ऐसे में किस आधार पर इस फर्जी डॉक्टर को परमिशन दी गई, यह बड़ा सवाल है.
ऐसे हुआ खुलासा
फर्जी डॉक्टर को 2 जनवरी को सोनोग्राफी करने की परमिशन चिकित्सा विभाग की ओर से मिल गई थी. जिसके बाद वह लगातार सोनोग्राफी करने लगा लेकिन जब वास्तविक डॉक्टर प्रवीन कुमार अजमेरा को पता लगा तब उन्होंने तुरंत तेलंगाना से चूरू जिला कलेक्टर, सीएमएचओ चूरू व अन्य अधिकारियों को शिकायत की. तब जाकर यह खुलासा हो सका. मगर डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा की सेंटर संचालक आमीर खान से बात की तो वह भी गोल-गोल जवाब देते हुए नजर आए.
मामले में लीपापोती
हालांकि अब इस पूरे प्रकरण में कहीं ना कहीं सीएमएचओ सेंटर संचालक को बचाते हुए नजर आ रहे हैं. डॉक्टर प्रवीण कुमार अजमेरा की शिकायत मिलने के बाद आनन-फानन में रात के अंधेरे में सोनोग्राफी सेंटर की मशीन को सील कर दिया. जिसकी जानकारी चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने किसी भी मीडिया कर्मी को नहीं दी. चिकित्सा विभाग के अधिकारी अब जांच की बात कर रहे हैं, और इस मामले में लीपा पोती कर रहे है. लेकिन अभी तक उनके द्वारा इस फर्जीवाड़ी पर एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई है.
सख्त हैं PCPNDT एक्ट
डॉ प्रवीण कुमार अजमेरा ने बताया कि पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (PCPNDT) अधिनियम, 1994 भारत में कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए भारत की संसद द्वारा पारित एक संघीय कानून है. इसके अनुसार डॉक्टर योग्य होना चाहिए. कम से कम एमबीबीएस तो डॉक्टर होना ही चाहिए, एमबीएस के बाद डीएमआरडी, एमडी रेडियोलॉजी, डीएनबी रेडियोलॉजी एमडी गायनिक यह सब अल्ट्रासोनोग्राफी करने के लिए एलिजिबल है. अल्ट्रासोनोग्राफी उसके लिए आधार कार्ड लेना चाहिए, सेंटर में फॉर्म एफ भरना चाहिए फिर ऑनलाइन की प्रक्रिया है ऑनलाइन भी चढ़ाना चाहिए. राजस्थान में ऑनलाइन की प्रक्रिया सख्त है हर दिन ऑनलाइन चढ़ना पड़ता हैं.