Government crackdown on private schools: राजस्थान में सरकार के बदलते ही प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कसने की तैयारी शुरू हो गई है. अब निजी स्कूलों का भी नियमित निरीक्षण शिक्षा विभाग करेगा. प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक ने इसके आदेश जारी किए हैं. इस आदेश के जारी होते ही निजी स्कूल संचालकों ने विरोध करना शुरू कर दिया है.
नियमित निरीक्षण के लिए कमेटियां गठित
वहीं नियमित निरीक्षण के लिए ज़िला स्तर पर कमेटियां गठित करने का काम शुरू हो गया है. अजमेर और श्रीगंगानगर ज़िलों में तो कमेटियां गठित भी हो गई हैं. बीकानेर में भी जल्द ही कमेटी का गठन कर दिया जाएगा. प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि निरीक्षण के दौरान जांच कमेटी को आवश्यक दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करवाने और जांच में सहयोग नहीं करने पर सम्बंधित स्कूल की मान्यता समाप्ति के एक्शन से सम्बंधित निर्देश पर आपत्ति जताई है.
जांच में हैं 21 बिन्दु और 2 पर हो रहा है विरोध
प्राइवेट स्कूलों के नियमित परीक्षण के लिए जारी गाइडलाइन में 21 बिन्दुओं को शामिल किया गया है. निरीक्षण के दौरान कमेटी इन्हीं को आधार बना कर स्कूल की जांच करेगी. इनमें से दो बिन्दुओं पर निजी स्कूल संचालकों ने ऐतराज़ जताया है. इन दो बिन्दुओं में वर्तमान मापदण्डों के अनुसार स्कूल कैम्पस में ज़मीन, क्लास रूम, सब्जेक्ट के मुताबिक़ लैब, छात्रों और छात्राओं के लिए अलग-अलग टॉयलेट्स, लाइब्रेरी और रैम्प समेत दूसरे ज़रूरी संसाधन पहला बिन्दु है और शैक्षिक भू-रूपान्तरण दूसरा बिन्दु है जिस पर ऐतराज़ किया जा रहा है.
'कोई अधिकारी निजी स्कूलों को ना करे परेशान'
प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टिट्यूट प्रोस्पेरिटी अलायन्स (पैपा) के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल का मत है कि ग़ैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 के नियम 1993 के अन्तर्गत नियम संख्या 21 में निरीक्षण के जो मापदण्ड सरकार द्वारा निर्धारित किये हुए हैं, उन्हीं के अनुसार निरीक्षण किया जा सकता है, लेकिन 21 फ़रवरी को जारी नियमित निरीक्षण की आड़ में कोई अधिकारी या कर्मचारी निजी स्कूलों को बेवजह परेशान ना करे, इसका ख़याल शिक्षा विभाग को रखा जाना चाहिए.
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