
Rajasthan Politics: राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मंगलवार को राज्य की बीजेपी सरकार पर नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं का चुनाव समय पर न करवाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह संविधान एवं कानून का उल्लंघन कर रही है. उन्होंने कहा, एक राष्ट्र-एक चुनाव के नाम पर राजस्थान सरकार पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों का चुनाव टाल रही है तथा प्रशासक के माध्यम से जनप्रतिनिधियों का अधिकार छीन रही है. इस तरह वह ग्रामीण एवं शहरी इलाकों के विकास को अवरुद्ध कर रही है.
डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं का परिसीमन एवं पुनर्गठन नियमों एवं जनभावनाओं के बजाय राजनीतिक दुर्भावना के आधार पर कर रही है.
49 नगर निकायों के चुनाव नवम्बर 2019 में हुए थे
डोटासरा ने दावा किया कि राज्य के 49 नगर निकायों के चुनाव नवम्बर 2019 में हुए थे और इनका कार्यकाल नवम्बर 2024 में ही पूरा हो गया, लेकिन इन निकायों के चुनावों का कार्यक्रम जारी नहीं हुआ. बल्कि सरकार ने प्रशासक नियुक्त कर रखे हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है कि इसी प्रकार 6759 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 31 जनवरी 2025 को समाप्त हो गया एवं 704 का 31 मार्च 2025 को समाप्त हो रहा है लेकिन इनके भी चुनाव करवाने हेतु कोई अधिसूचना राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नहीं की गई जो संविधान एवं कानून की मंशा के विरूद्ध है. उन्होंने चेतावनी दी कि सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करेंगे.
चुनाव का कार्यक्रम अविलम्ब जारी होना चाहिए
अदालत के एक फैसले का जिक्र करते हुए डोटासारा ने कहा कि परिसीमन के नाम पर पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों के चुनाव स्थगित नहीं किये जा सकते हैं तथा पांच वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने से पूर्व चुनाव प्रक्रिया शुरू करना आवश्यक है. उन्होंने मांग की कि जिन पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों का कार्यकाल पूर्ण हो गया है उनके चुनाव का कार्यक्रम अविलम्ब जारी होना चाहिए.
कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी कांग्रेस
डोटासरा ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव के नाम पर पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकाय का चुनाव नहीं करवाया जाना भारत के संविधान एवं भारतीय कानून का सीधा उल्लंघन होने के साथ ही जनता के अधिकारों के साथ खिलवाड़ भी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य सरकार को नगर निकायों एवं पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव शीघ्र करवाने हेतु बाध्य करने के लिये सड़क पर संघर्ष करने के साथ ही न्यायालय का द्वार खटखटा सकती है.