Farmer News: मोथा तूफान के कारण अतिवृष्टि से सोयाबीन और उड़द की फसल पहले ही बर्बाद होने के बाद अब हाड़ौती के किसानों पर बेमौसम बारिश ने धान पर कहर बरपा दिया है. खेतों में खड़ी और कटी हुई धान की फसल इस बारिश में बड़े पैमाने पर खराब हो गई है, वहीं मंडियों में धान बेचने पहुंचे किसानों की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है.
कोटा संभाग 1 लाख 60 हजार हैक्टेयर की धान हुई आड़ी
बेमौसम बरसात के कारण कोटा संभाग में 1 लाख 60 हजार हैक्टेयर की धान आड़ी पड़ गई है. कटी फसलों में काफी नुकसान हुआ है. जिससे 30% तक उत्पादन गिरने की आशंका है.
क्वालिटी के साथ साथ उत्पादन में कमी
विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश में भीगने से धान की क्वालिटी गिरेगी और रंग बदलेगा. अच्छे धान का भाव जो पहले ₹2600-₹2700 प्रति क्विंटल था, वह घटकर ₹2200-₹2300 तक आ सकता है.जिससे दाम 500 से एक हजार क्विंटल तक कम मिलेंगे।उत्पादन संभाग में 10 लाख 31 हजार 400 मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान लगया था, जो अब 7 लाख मीट्रिक टन रह सकता है. फसल का ज्यादा नुकसान बूंदी और कोटा में हुआ है क्योंकि बूंदी में करीब एक लाख हैक्टेयर और कोटा में 69 हजार हैक्टेयर रकबा है. पूरे संभाग में 2 लाख 14 हजार हैक्टेयर रकबे में बुआई हुई थी.
मंडी में भी निराशा
कोटा की भामाशाह अनाज मंडी में किसान पिछले तीन दिन से अपनी धान की फसल बेचने का इंतजार कर रहे थे. लगातार दो दिन हुई बारिश ने उन्हें निराश कर दिया. किसानों ने तिरपाल लगाकर धान को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन नमी और बारिश से उनका अनाज फिर भी खराब हो गया. किसानों ने आरोप लगाया कि उनका माल खुले आसमान के नीचे बर्बाद हो रहा है, जबकि व्यापारियों ने अपना माल मंडी परिसर में शेड के नीचे सुरक्षित रख रखा है.
सरकार की ओर से एक्शन
सरकार ने अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का सर्वे करवाकर आपदा प्रबंधन के तहत जल्द मुआवजा देने का ऐलान किया है. मंडी में किसानों के खुले में रखे अनाज की शिकायत के बाद कोटा मंडी प्रशासन ने भी एक्शन लिया है. जिन व्यापारियों ने शेड में अपना माल रख रखा था, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में पहुंचकर किसानों को हर संभव मदद का भरोसा दिला रहे हैं, लेकिन किसान खेत से लेकर मंडी तक हुई बर्बादी से बेहद निराश हैं.
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