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This Article is From Sep 28, 2023

हनुमान बेनीवाल की शक्ति संकल्प यात्रा आज से शुरू, जाट वोट बैंक साधने की कोशिश

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल आज सालासर से सत्ता संकल्प यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल सालासर में सभा को संबोधित करेंगे और उसके बाद यात्रा की शुरुआत होगी. इस यात्रा के जरिये हनुमान बेनीवाल अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटेंगे.

हनुमान बेनीवाल की शक्ति संकल्प यात्रा आज से शुरू, जाट वोट बैंक साधने की कोशिश
हनुमान बेनीवाल ( फाइल फोटो)

नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने गुरूवार को सालासर से सत्ता संकल्प यात्रा की शुरुआत की है. यह यात्रा राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आयोजित की जा रही है. बेनीवाल की पार्टी का शेखावटी इलाके में प्रभाव है और जाट वोट बैंक को साधने के लिए इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. 

आरएलपी प्रमुख बेनीवाल ने बीते दिनों घोषणा की थी कि उनकी पार्टी कांग्रेस या भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी और छोटे दलों से गठबंधन कर पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. चुनाव से पूर्व पार्टी व्यवस्था परिवर्तन के लिए सत्ता संकल्प यात्रा की शुरुआत करेगी.

गौरतलब है बेनीवाल की पार्टी का शेखावटी इलाके में प्रभाव है. यह इलाका जाट बाहुल्य है. पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में 57 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इनमें ज्यादातर सीटें शेखावटी की थी. पार्टी के सिर्फ तीन विधायक जीते थे, लेकिन पार्टी को हर सीट पर औसतन 16 हजार वोट मिले थे. वोट शेयर से उत्साहित बेनीवाल ने सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में एनडीए गठबंधन से चुनाव लड़ा और नागौर के सांसद बने.

राजस्थान में जाट वोट बैंक का महत्व

राजस्थान में जाट वोट बैंक काफी अहम है. प्रदेश में जाट आबादी 10 फीसदी है और 33 विधायक और 8 विधायक इसी समुदाय से हैं. दोनों प्रमुख दल कांग्रेस-भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी जाट थे. बाद में भाजपा ने सतीश पूनिया की जगह सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. खुद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अपने आप को जाट की बहू बताती हैं.

जाट पारंपरिक रूप से कांग्रेसी वोटर हैं

पारंपरिक रूप से जाटों को कांग्रेस का वोटर माना जाता है. यही कारण है कि राजस्थान के दोनों प्रमुख दल क्रमशः कांग्रेस और भाजपा जाट वोट बैंक पर नजर गड़ाए रहते हैं. हालांकि हाल के वर्षों में इसमें सेंध लगी है. वर्ष 1998 में सीकर की सभा में अटल बिहारी वाजपेयी ने जाटों को ओबीसी आरक्षण देने की बात कह कर इस वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी की थी. इसके बाद और दलों ने भी इस वोट बैंक में सेंध लगाई.

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विधानसभा चुनाव में जाट वोट बैंक का महत्व

आगामी विधानसभा चुनाव में कई दल इस वोट बैंक को साधने के प्रयास कर रहे हैं. राष्ट्रीय लोक दल और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी तो पहले से प्रदेश में सक्रिय थी. अब हरियाणा की जननायक जनता पार्टी भी इस रेस में शामिल हो गई है. पार्टी ने 20-25 सीटों पर लड़ने की बात कही है. हालांकि पार्टी हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार में शामिल है. इसलिए  उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों दल यहां भी साथ-साथ चुनाव लड़ेंगे. ऐसा होता है तो पार्टी को 3-4 सीटें मिल सकती हैं.

बेनीवाल की काट के लिए ज्योति मिर्धा को लेकर आई भाजपा

2019 के लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल एनडीए के हिस्सा थे. वे कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को हराकर संसद पहुंचे थे, लेकिन तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर बेनीवाल एनडीए से अलग हो गए. अब उनकी विरोधी रहीं पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा भाजपा में शामिल हो गईं हैं. वे दिग्गज जाट नेता नाथू राम मिर्धा की पोती हैं और भाजपा को उनके आने से जाट वोट अपने पाले में आने की उम्मीद है.

ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए रणनीति बनाने में जुटे दल

प्रदेश में संभवतः दिसंबर में चुनाव होने हैं. सभी दल अपने-अपने वोट बैंक साधने में जुटे हैं. देखना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश के सबसे बड़े ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए पार्टियां और क्या-क्या प्रयास करती हैं. यह यात्रा राजस्थान की राजनीति में किस तरह का बदलाव लाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन इतना तो तय है कि इस यात्रा से जाट वोट बैंक पर सभी दलों की नजर होगी.

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