Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार पुलिस और बैंकों को साइबर अपराध रोकने के लिए कई जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. यह फैसला जोधपुर में एक बुजुर्ग दंपती से करोड़ों रुपए की ठगी के मामले में आया है जहां दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गई. कोर्ट का कहना है कि तकनीक के गलत इस्तेमाल से साइबर अपराध समाज और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं.
बुजुर्ग दंपती की ठगी का चौंकाने वाला मामला
जोधपुर में 14 मई 2025 को साइबर पुलिस थाने में एक चौंकाने वाली एफआईआर दर्ज हुई. 84 साल के बुजुर्ग दंपती से गुजरात के रहने वाले अदनान हैदर और राहुल जगदीश जाधव ने 2 करोड़ 2 लाख रुपए ठग लिए. आरोपियों ने खुद को मुंबई साइबर पुलिस ईडी और सीबीआई अधिकारी बताकर 29 अप्रैल से 8 मई 2025 तक दंपती को डिजिटल अरेस्ट जैसी हालत में रखा.
उन्होंने नौ बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करवाए. जांच में पता चला कि 45 लाख रुपए सीधे आरोपियों के खातों में गए जिन्हें वे झुठला नहीं सके. जस्टिस रवि चिरानिया की बेंच ने जमानत खारिज करते हुए कहा कि ऐसी ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और आरोपियों पर लगी धाराओं में सात साल तक की सजा हो सकती है. इसलिए अभी जमानत नहीं दी जा सकती.
साइबर अपराधों पर कोर्ट की गहरी चिंता
कोर्ट ने माना कि साइबर अपराध पारंपरिक अपराधों से अलग हैं और पुलिस जांच में तकनीकी रूप से कमजोर है. संसदीय समिति की रिपोर्ट और केंद्र की एजेंसियों के आंकड़ों से पता चला कि 2019 से 2024 तक साइबर वित्तीय शिकायतें कई गुना बढ़ गईं. लेकिन एफआईआर दर्ज होने और ठगी की रकम फ्रीज करने की दर बहुत कम है.
कोर्ट ने चिंता जताई कि ठगी की रकम मिनटों में कई खातों से गुजरकर क्रिप्टोकरेंसी में बदल जाती है और विदेश चली जाती है. सामान्य पुलिस वाले इसे ट्रेस नहीं कर पाते. इसी वजह से साइबर अपराध समाज कानून व्यवस्था और अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं.
R4C सेंटर और अन्य बड़े कदम
कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) को भारतीय साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) की तर्ज पर राजस्थान साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर (R4C) बनाने के लिए अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए.
यह सेंटर साइबर अपराधों पर नजर रखेगा और रोकथाम में मदद करेगा. साथ ही किसी व्यक्ति के नाम पर तीन से ज्यादा सिम कार्ड जारी करने पर रोक लगाने के लिए विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करने को कहा गया.
बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
कोर्ट ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के स्कूलों में मोबाइल फोन ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर चिंता जताई. गृह विभाग को शिक्षा विभाग और अभिभावक संगठनों के साथ मिलकर इस पर SOP बनाने के निर्देश दिए गए. इससे बच्चों को साइबर खतरों से बचाया जा सकेगा.
पुलिस और बैंकिंग सिस्टम में सुधार
कोर्ट ने साइबर अपराधों की जांच के लिए विशेष आईटी इंस्पेक्टर पद बनाने के आदेश दिए. ये अधिकारी सिर्फ साइबर मामलों पर काम करेंगे और उन्हें दूसरी जगह ट्रांसफर नहीं किया जाएगा. बैंकों फिनटेक कंपनियों और एटीएम ऑपरेटरों को भी सख्त निर्देश दिए गए.
सभी को आरबीआई के 'म्यूल हंटर' जैसे एआई टूल्स इस्तेमाल करने को कहा गया ताकि संदिग्ध खाते और लेनदेन पहचाने जा सकें. कम सक्रिय खातों की केवाईसी दोबारा कराई जाए. जिन खाताधारकों की डिजिटल जानकारी कम है या सालाना लेनदेन 50 हजार रुपए से कम है उनके इंटरनेट बैंकिंग और यूपीआई लिमिट पर सख्त नियंत्रण रखा जाए. इससे ठगी के खतरे कम होंगे.
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