
Rajasthan's first Holika Dahan: ऐसे तो हर जगह होलिका दहन भद्राकाल के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है. लेकिन आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां सबसे पहले यानी बिना शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन कर दिया जाता है. इसके पीछे की वजह भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल झुंझुनूं शहर के छावनी बाजार में सूर्य की साक्षी में होलिका दहन किया गया, जिले में बाकी जगह भद्राकाल के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन होगा. झुंझुनू शहर के छावनी बाजार स्थित तिवाड़ीयों की होलिका दहन सूर्य की साक्षी में शाम सवा छह बजे किया गया. शहर की महिलाओं ने यहां होली की झळ देखकर व्रत खोला.
वरदान के वजह से नहीं होता कोई असर
तिवाड़ीयों की होली के व्यवस्थापक गणेश तिवारी ने बताया कि चुलीवाल तिवाड़ी गोत्र को भद्ररिया तिवाड़ी भी कहते हैं. उन्होंने बताया की उनके गौत्र के पूर्वज भद्र काली के उपासक थे. उन्हें भद्र काली का वरदान था, इस कारण चुलीवाल तिवाड़ी समुदाय की होली दहन में भद्रा का असर नहीं होता है. यही वजह है कि छावनी बाजार में तिवाड़ीयों की होलिका दहन हर वर्ष सूर्य साक्ष्य में किया जाता है.
भद्राकाल में ही अन्य मांगलिक कार्य भी
बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तिवाड़ी गोत्र के लोगों का कहना है कि किसी जमाने में उनके पूर्वज शुभ कार्य के लिए कहीं जा रहे थे. इस दौरान रास्ते में उनको भद्रा मिल गई, समाज के लोगों ने इसे अपशकुन समझा और वापस जाने लगे. इसी दौरान भद्रा ने उन्हें वरदान दिया कि सारे काम भद्राकाल में करेंगे तो शुभ रहेगा. उसके बाद से समाज होली दहन भद्रा काल में ही करता है. समाज में अन्य मांगलिक कार्य भी भद्रा काल में ही किए जाते हैं.
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