
Rajasthan News: पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के भतीजे प्रताप सिंह खाचरियावास के पैतृक घर पर हुई ED रेड पर राजस्थान सरकार का पहला बयान सामने आया है. NDTV राजस्थान से खास बातचीत में संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा, 'ED अगर तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करती है तो उसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. कानून अपने हिसाब से काम करता है, उसमें द्वेष भावना से कार्रवाई नहीं की जाती. विपक्षी पक्षकार के पास अपनी बात रखने का अधिकार है. अगर आपके पास सबूत हैं तो आप ईडी के सामने रख सकते हैं, न्यायालय जा सकते हैं. इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए.'
'कांग्रेस केंद्र में आएगी तो बताऊंगा'
दरअसल, राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जयपुर स्थित उनके आवास पर हुई ईडी रेड को राजनीति से प्रेरित बताया है. उन्होंने अपने घर के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, 'भाजपा अहंकारी है. केंद्र में उनकी 11 साल से सरकार है. राजस्थान में भी उनकी सरकार है. मैं उनके खिलाफ बोलता रहा हूं, इसलिए उन्होंने यह कार्रवाई की है. लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है. भाजपा नेताओं को भूलना नहीं चाहिए कि आज उनकी सरकार है. जब राहुल गांधी के नेतृत्व में केंद्र में कांग्रेस सरकार बनेगी, तो भाजपा नेताओं का क्या होगा ये उन्हें सोचना चाहिए.'
'यह बयान ठीक नहीं'
एक मीडिया एजेंसी से बातचीत में जोगाराम पटेल ने इन आरोपों का जवाब दिया है. उन्होंने कहा, 'भाजपा सरकार में किसी को टारगेट करके कोई काम नहीं होता. ईडी या कोई भी अन्य एजेंसी स्वतंत्र रूप से काम करती है. प्रताप सिंह खाचरियावास का यह कहना कि जब उनकी सरकार आएगी तो वे भी BJP के साथ ऐसा ही करेंगे, ठीक नहीं है. खासकर एक जनप्रतिनिधि के तौर पर तो बिल्कुल नहीं.'
पीएसीएल घोटाले से जुड़ा है मामला
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है. कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है. सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें. सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है.
देश के 5.85 लोगों ने किया था निवेश
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई. इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई. 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था.
30 करोड़ के आसपास की भागीदारी
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं. इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया. मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है.
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