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बच्चों की कस्टडी के लिए मां ने लगाई राजस्थान हाईकोर्ट से गुहार, बच्चों ने किया मिलने से इनकार, पिता पर 2 लाख का जुर्माना

कोर्ट ने अब बच्चों के काउंसिलिंग का आदेश दिया है जिससे पता चल सके की बच्चों पर ऐसा क्या प्रेशर है. आखिर क्यों बच्चे मां से नहीं मिलना चाहते हैं. वहीं, कोर्ट ने पिता पर केस को लंबा खींचने पर 2 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया है.

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बच्चों की कस्टडी के लिए मां ने लगाई राजस्थान हाईकोर्ट से गुहार, बच्चों ने किया मिलने से इनकार, पिता पर 2 लाख का जुर्माना
राजस्थान हाईकोर्ट

Jodhpur News: राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में एक मां अपने बच्चों की कस्टडी के लिए गुहार लगा रही है. लेकिन मामला ऐसा है कि जिस बच्चों को पाने के लिए मां इतनी परेशान है. वह बच्चे ही मां से मिलने से इंकार कर दिया है. इस मामले को राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस अरुण मोंगा ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि प्रकृति ने मां को यह शक्ति दी है कि वह बच्चे को जन्म दे सके, लेकिन मां उन्हीं बच्चों से मिल नहीं पा रही है.

वहीं, कोर्ट ने अब बच्चों के काउंसिलिंग का आदेश दिया है जिससे पता चल सके की बच्चों पर ऐसा क्या प्रेशर है. आखिर क्यों बच्चे मां से नहीं मिलना चाहते हैं. वहीं, कोर्ट ने पिता पर केस को लंबा खींचने पर 2 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया है.

मामले पर कोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने कहा, सामान्यतः बच्चे जिसकी कस्टडी में होते हैं, उसके पक्ष में बयान देते हैं. इस सम्भावना से इंकार नही किया जा सकता की बच्चों को सिखाया-पढाया होगा. जिसकी वजह से वे अपनी जन्म देने वाली माता से मिलने से इंकार कर रहे है. कोर्ट ने इन बच्चों की काउंसलिंग मनोचिकित्सक से करवाने की आवश्यकता महसूस की, और जोधपुर एम्स के डायरेक्टर को यह आदेश दिया कि वो इसके लिए मनोचिकित्स की नियुक्ति करें. जो लगातार छह सप्ताह तक प्रत्येक शनिवार को इन दोनो बच्चों की काउंसलिंग करे और उसके बाद इसकी रिपोर्ट पारिवारिक न्यायालय जोधपुर को पेश करे.

ऐसे में बच्चों की इच्छा पर फैसला लेना उनके हित में नहीं होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने रजिस्ट्ररी को निर्देश दिए है वैवाहिक मामलों में पक्षकारों की निजता ध्यान रखा जाना आवश्यक है. रजिस्ट्ररी प्रदेश के सभी पारिवारिक न्यायालयों को एक परिपत्र के जरिए भविष्य में आवश्यक रूप से निजता को लेकर सतर्कता बरतने के निर्देश भी दिये.

क्या है पूरा मामला

मामले के तथ्यों के अनुसार बच्चों की माता ने 25 अक्टूबर 2021 को पारिवारिक न्यायालय जोधपुर में एक प्रार्थना पत्र पेश कर अपने दो बच्चों की कस्टडी और उसे बच्चों से मिलवाने के लिए प्रस्तुत किया. जिस पर पारिवारिक न्यायालय ने 30 मई 2023 को बच्चों को न्यायालय में उपस्थित रखने का आदेश उनके पिता को दिया था. जिसे माता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने इस मामले में 8 नवम्बर 2023 को बच्चों के पिता को यह आदेश दिया था कि वो हर दूसरे दिन इन बच्चों को अपने घर पर उनकी माता से मिलवाएगा. लेकिन 23 नवम्बर 2023 को बच्चों के पिता ने हाईकोर्ट ने यह प्रार्थना की कि क्योकि ये बच्चे खुद अपनी माता से नहीं मिलना चाह रहे हैं. इस कारण उन्हें अपनी माता से मिलने के लिए बाध्य नहीं किया जाए.

बच्चों की माता के अधिवक्ता सलमान आगा ने यह तर्क दिया कि बच्चों की माता को उनसे मिलने का अधिकार है. और बच्चों को उनकी माता से नहीं मिलने देना उनके हितों के विपरीत होगा. इस पर हाईकोर्ट ने दोनों बच्चों को कोर्ट में बुलवाकर उनसे उनकी इच्छा जानी तो दोनो बच्चों ने अपनी माता से मिलने से स्पष्ट मना कर दिया.

वहीं इस मामले में कोर्ट ने पिता द्वारा इस प्रकरण को लम्बा करने के लिए बार-बार प्रार्थना पत्र पेश किए गए है. इसीलिए उस पर 2 लाख रूपए का जुर्माना लगाया है. जो राशि बच्चों की माता को दी जाएगी.

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