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क्या शापित है राजस्थान का विधानसभा भवन? कभी एक साथ नहीं हो सके सभी 200 विधायक, इस बार भी 199 का फेर

2001 में राजस्थान के विधानसभा भवन के उद्घाटन के दौरान भी अपशगुन हुआ था. तब तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण को इसका उद्घाटन करना था. लेकिन उद्घाटन से ठीक पहले बीमार पड़ने के कारण वो नहीं आ सके. और बिना उद्घाटन के लिए राजस्थान का नया विधानसभा भवन शुरू हो गया.

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क्या शापित है राजस्थान का विधानसभा भवन? कभी एक साथ नहीं हो सके सभी 200 विधायक, इस बार भी 199 का फेर
जयपुर स्थित राजस्थान का विधानसभा भवन.

राजस्थान में पिछले दो विधानसभा चुनाव से सभी 200 सीटों पर चुनाव नहीं हो सका है. इस बार भी राज्य की सभी 200 सीटों पर एक साथ मतदान नहीं हो रहा है. इसे संयोग कहें या कुछ और लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले यहां कोई न कोई ऐसी घटना हो जाती है, जिससे सभी सीटों पर वोटिंग नहीं हो पाती. इस बार भी यह प्रथा या पनौती जारी रहेगी. दरअसल इस बार राजस्थान में चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के बाद गंगानगर की करणपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर की मौत हो गई थी. इस कारण यहां मतदान नहीं होगा.

इससे पहले साल 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में भी राजस्थान 199 के फेर में फंस गया था.इसके पीछे कई लोग राजस्थान के नए विधानसभा भवन के शापित होने की बात कहते हैं. यह दावा हल्का इसलिए नहीं है कि क्योंकि प्रदेश के कई विधायकों ने विधानसभा में भी इस मु्द्दें पर सवाल उठाया है. दरअसल राजस्थान में विधानसभा का नया भवन बनने के बाद सभी 200 विधायक एक साथ नहीं हो पाए. विधायक रहते हुए कई नेताओं की मौत भी हुई. 

पूर्व विधायक ने किया था दावा- शापित है विधानसभा भवन

पिछले साल विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने दावा किया था कि राजस्थान विधानसभा का नया भवन 'शापित' है. उनका दावा है कि जब तक विधानसभा में शांति पाठ नहीं होगा और जिन किसानों की भूमि पर यह भवन बना है, जब तक उन्हें ​मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक एक साथ 200 विधायकों की संख्या पूरी नहीं होगी.

पिछले 15 साल से सभी 200 सीटों पर नहीं हो पा रहा चुनाव
उल्लेखनीय हो कि राजस्थान विधानसभा भवन में 200 सीटों के लिए एक साथ बीते 15 सालों से कभी मतदान नहीं हो पाया है. अब इसे संयोग समझे या अंधविश्वास लेकिन पिछले तीन चुनाव को लेकर आंकलन किया जाए तो तीनों विधानसभा चुनाव में 200 सीटों में से कोई न कोई एक सीट पर प्रत्याशी की मृत्यु हो ही जाती है.

इस बार भी ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है जहां प्रदेश में 200 सीटों की जगह इस बार फिर एक बार 199 सीटों पर ही मतदान हो रहा है. अभी तक  राज्य में दो बार हुए 199 सीटों पर चुनाव में एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस को जीत मिली है. अब देखना है कि इस बार क्या होता है. 

2013 और 2018 में भी हुई थी एक-एक प्रत्याशी की मौत

साल 2013 में राजस्थान में चुनाव के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी थी और सभी पार्टियों के प्रत्याशी तय भी हो चुके थे. तभी राज्य की चूरू विधानसभा सीट से बसपा के उम्मीदवार जे पी मेघवाल की अचानक मौत हो गई और वहां मतदान नहीं हो सका. फिर ऐसा ही कुछ साल 2018 में भी हुआ था. उस वक्त अलवर की रामगढ़ सीट से बसपा के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह की मृत्यु हो गई और फिर 199 सीटों पर ही मतदान हुआ. अब बुधवार (15 नवंबर) को करणपुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी गुरमीत सिंह की मृत्यु हो गई. जिसकी वजह से इस बार भी 199 सीटों पर ही वोट डाले जाएंगे.

199 के फेर में फंसी राजस्थान विधानसभा
राजस्थान विधानसभा चुनाव के इस 199 के फेर में फंसे होने की वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन कुछ लोग इसके पीछे राजस्थान के नए विधानसभा भवन के अभिशप्त होने या विधानसभा भवन में वास्तु दोष होने की बात करते हैं. इसे लेकर सदन में विधायकों में भी कई बार चर्चा हो चुकी है. ये चर्चा इसलिए भी होती रही है, क्योंकि जब से विधानसभा की बैठक मौजूदा भवन में शुरू हुई है, ऐसे मौके बहुत कम आए हैं, जब सदन में एक साथ 200 विधायक रहे हों.

कभी किसी विधायक की मृत्यु हो गई तो कभी किसी को जेल जाना पड़ा. कभी ऐसा भी हुआ कि कोई विधायक संसद सदस्य चुन लिया गया तो कभी किसी को राज्यपाल बनकर विधानसभा से जाना पड़ा, लेकिन दो सौ सदस्य एक साथ बहुत कम साथ रहे.

श्मशान स्थल को भी माना जाता है वजह

इतना ही नहीं इसकी एक वजह विधानसभा भवन के साथ जुड़े श्मशान स्थल को भी माना जाता रहा है. इसलिए कई बार विधायकों ने सदन में पूजा पाठ और यज्ञ हवन करवाने की मांग भी की थी. राजस्थान विधानसभा भवन ज्योति नगर में जिस जगह बना है वो भूमि श्मशान के साथ लगी है.

आस-पास के लोगों का दावा है कि विधानसभा के निर्माण के वक्त श्मशान की जमीन का कुछ हिस्सा इस भवन को बनाने में शामिल किया गया था, जिसकी वजह से ये भवन अभिशप्त है. पिछले 20 साल में राजस्थान में 16 विधायकों की मौत हुई है. कई विधायकों को जेल जाना पड़ा. 

मौजूदा 15वीं विधानसभा (2018 से 2023)

2023 - करणपुर से कांग्रेस विधायक 'गुरमीत सिंह कुन्नर' का निधन.
2022 - दिग्गज कांग्रेस नेता और विधायक भंवरलाल शर्मा का निधन.
2021 - वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन. 
2021 - धरियावद से भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा का निधन.
2020 - सुजानगढ़ से कांग्रेस विधायक मास्टर भंवरलाल का निधन.
2020 - राजसमंद से भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का निधन.
2020 - सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन.

14वीं विधानसभा (2013 से 2018)

2018 - रामगढ़ से बसपा प्रत्याशी का वोटिंग से पहले हुआ निधन.
2018 - मुंडावर विधायक व भाजपा नेता धर्मपाल चौधरी का निधन. 
2018 - नाथद्वारा से भाजपा विधायक कल्याण सिंह का निधन.
2013 - दूदू से कांग्रेस विधायक बाबूलाल नागर को जेल की सजा हुई. 
2017 - धौलपुर से बसपा विधायक बीएल कुशवाह को जेल जाना पड़ा. 
2017 - मांडलगढ़ से भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी का निधन.

13वीं विधानसभा (2009 से 2013) 

2003 - कांग्रेस से लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई का निधन. 
2002 - कांग्रेस विधायक किशन मोटवानी का निधन.
2002 - बीजेपी विधायक जगत सिंह दायमा का निधन. 
2001 - विधायक भीमसेन चौधरी का निधन.
2000 - लूणकरणसर विधायक कैबिनेट मंत्री भीखा भाई का निधन. 

12वीं विधानसभा (2009 से 2013) 

2005 - विधायक अरुण सिंह का निधन.
2006 - विधायक नाथूराम अहारी का निधन.

 
1994 से शुरू हुआ था निर्माण, 2001 में बिना उद्घाटन हुआ था शुरू

मालूम हो कि राजस्थान विधानसभा के नए भवन का निर्माण 1994 में शुरू हुआ था. मार्च 2001 में यह भवन बनकर तैयार हुआ. राजधानी जयपुर में लालकोठी के पास 16.96 एकड़ भूमि पर बना यह भवन देश के आधुनिक विधानसभा भवनों में शुमार है. यहां एक साथ 260 सदस्यों के बैठने की क्षमता है.

लेकिन विधानसभा भवन के पास ही एक श्मशान स्थल है. इसी श्मशान को लेकर लोग भवन पर सवाल उठा रहे हैं. मालूम हो कि 2001 में इस भवन के उद्घाटन के दौरान भी अपशगुन हुआ था. तब 2001 में 25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण को इस भवन का उद्घाटन करना था. लेकिन उद्घाटन समरोह से ठीक पहले बीमार पड़ने के कारण राष्ट्रपति नहीं आ सके. और बिना उद्घाटन के लिए राजस्थान का नया विधानसभा भवन शुरू हो गया. 

यह भी पढ़ें - राजस्थान में इस बार भी फिर 199 सीटों पर ही होगा चुनाव, पीछा नहीं छोड़ रहा यह पनौती

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