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राजस्थान में इस बार भी फिर 199 सीटों पर ही होगा चुनाव, पीछा नहीं छोड़ रहा यह पनौती

ऐसा लगातार तीसरे चुनाव में हो रहा है जहां प्रदेश में 199 सीटों पर चुनाव हुए हों. इससे पहले 2013 में चुरू से बसपा प्रत्याशी जगदीश मेघवाल का निधन हो गया था. वहीं 2018 में रामगढ से बसपा के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह का निधन हो गया था.

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राजस्थान में इस बार भी फिर 199 सीटों पर ही होगा चुनाव, पीछा नहीं छोड़ रहा यह पनौती
प्रतीकात्मक तस्वीर.

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछ चुकी है. प्रचार अभियान पूरे जोरों पर है. निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अनुसार प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को एक चरण में मतदान होना है. वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी. लेकिन बुधवार को राजस्थान में एक ऐसी घटना घटी कि अब प्रदेश की सभी 200 सीटों पर चुनाव नहीं हो सकेगा. अब राजस्थान की 199 सीटों पर ही चुनाव होगा. इससे पहले भी पिछली दो विधानसभा चुनावों में राजस्थान में 199 सीटों पर ही चुनाव हुआ था. ऐसे में राजस्थान की चुनावी राजनीति में पिछले 15 साल से एक पनौती हर बार घट रही है.

दुर्भाग्य से यह घटना इस बार भी हुई. अब पूरे प्रदेश के वोटर 25 नवंबर को अपना विधायक चुनेंगे. लेकिन एक विधानसभा में शांति छाई रहेगी. दरअसल मंगलवार को श्रीगंगानगर जिले के करनपुर विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया. 

उनके निधन के बाद अब राजस्थान में 199 सीटों पर ही विधानसभा के चुनाव होंगे. इससे पहले 2013 और 2018 में भी 199 सीटों पर ही चुनाव हुए थे. पिछले तीन चुनावों से किसी सीट पर प्रत्याशी के निधन के बाद एक सीट पर चुनाव रद्द हो गए थे. 

श्रीगंगानगर के कांग्रेस विधायक और प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर, जिनका हुआ निधन.

श्रीगंगानगर के कांग्रेस विधायक और प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर, जिनका हुआ निधन.

क्यों रद्द हो जाते हैं चुनाव? क्या हैं नियम?

किसी भी प्रत्याशी के निधन के बाद उस सीट पर निर्वाची अधिकारी चुनाव रद्द कर देते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बाकी प्रत्याशियों के रहते हुए चुनाव क्यों नहीं होते.

दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के नियमों के तहत यह होता है. इस अधिनियम में संसद, विधानसभाओं एवं विधानपरिषद के सदस्यों की चुनावी प्रक्रिया, सदस्यता एवं संचालन से संबंधित प्रावधान हैं. इसी अधिनियम की धारा 52 में यह प्रावधान है कि ऐसा प्रत्याशी जिसने नामांकन नामांकन सही पाया गया और उसने नामांकन वापस नहीं लिया हो और उसकी मृत्यु हो जाती है तो रिटर्निंग अधिकारी मतदान स्थगित करेंगे. 

मतदान के प्रारंभ होने से पूर्व अगर ऐसी सूचना मिलती है तो रिटर्निंग अधिकारी मतदान स्थगित करने की घोषणा करेंगे.अगर किसी प्रत्याशी ने नामांकन वापिस लेने के लिए आवेदन किया है और उसकी मृत्यु होती है तो चुनाव रद्द नहीं होंगे. किसी का नामांकन रद्द हो गया हो और उसकी मृत्यु होती है तो भी चुनाव रद्द नहीं होंगे. 

2013 और 2018 में भी हुई थी प्रत्याशी की मौत

2013 में चुरू से बसपा प्रत्याशी जगदीश मेघवाल का निधन हो गया था. बाद में हुए चुनाव में भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ ने 14 हजार मतों से जीत दर्ज की थी. बसपा के नये प्रत्याशी को 1617 वोट मिले थे. 2018 में रामगढ से बसपा के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह का निधन हो गया था. इस सीट पर बाद में हुए चुनाव में कांग्रेस की साफिया जुबेर 12 हजार मतों से जीत दर्ज की थी. बसपा के नये प्रत्याशी को 24856 वोट मिले थे. 

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