Mount Abu News: इसरो (ISRO) और पीआरएल (PRL) के वैज्ञानिकों ने बीते दिनों माउंट आबू से रहस्यमयी धूमकेतु की तस्वीर खींचकर इतिहास रच दिया. माउंट आबू (राजस्थान) के गुरुशिखर पर स्थित PRL के 1.2 मीटर टेलीस्कोप से दुनिया के मात्र तीसरे ज्ञात धूमकेतु 3I/ATLAS का सफल अवलोकन किया गया है. यह धूमकेतु किसी दूसरे तारे के सौरमंडल से निकलकर हमारे सौरमंडल में घुसा है और सूर्य के सबसे नजदीकी बिंदु (पेरीहेलियन) को पार करने के बाद अब बाहर की ओर जा रहा है.
क्यों इतना खास यह धूमकेतु
फॉल्स-कलर इमेज में धूमकेतु का गोलाकार कोमा (नाभिक के चारों ओर गैस और धूल का बादल) स्पष्ट दिखाई दे रहा है. अभी धूल की पूंछ पृथ्वी से देखने की दिशा में पीछे की ओर है, इसलिए वह छिपी हुई है. यह हमारे सूर्य के बाहर बने पदार्थ (Exotic Matter) की दुर्लभ झलक देता है.
धूमकेतु की असामान्य रासायनिक संरचना और गैस उत्सर्जन दर (Production Rate) का अध्ययन दूसरे तारों के ग्रह-निर्माण प्रक्रिया को समझने में मदद करेगा. जैसे-जैसे धूमकेतु गहरे अंधेरे आकाश में जाएगा, आने वाले दिनों में और भी बेहतर आंकड़े मिलने की उम्मीद है.
Physical Research Laboratory (PRL) used its 1.2 m telescope at Mount Abu to observe the interstellar comet 3I/ATLAS post-perihelion.
— ISRO (@isro) November 19, 2025
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किस टेलीस्कोप से धूमकेतु देखा?
जिस टेलीस्कोप से धूमकेतु का अवलोकन किया गया है, वह माउंट आबू में 1680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित 1.2 मीटर टेलीस्कोप देश के प्रमुख ऑप्टिकल-इन्फ्रा-रेड उपकरणों में से एक है. इसका इस्तेमाल एक्सोप्लैनेट खोज, उच्च-ऊर्जा खगोलीय घटनाओं और सौरमंडल के पिंडों के अध्ययन में लगातार होता रहा है.
जाने-माने वैज्ञानिक प्रोफेसर शशि किरण गणेश ने बताया कि यह अवलोकन भारत की बढ़ती खगोलीय क्षमता का जीता-जागता प्रमाण है. अंतरतारकीय वस्तुओं का अध्ययन करना बेहद दुर्लभ अवसर होता है और हमने इसे बखूबी इस्तेमाल किया. भारत ने दुनिया के सिर्फ तीसरे अंतरतारकीय धूमकेतु को अपने घरेलू टेलीस्कोप से न सिर्फ देखा, बल्कि उसकी तस्वीरें खींचीं और रासायनिक फिंगरप्रिंट भी लिया.
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