Rajasthan News: लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार कांग्रेस बुधवार को आधी रात में 7 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. दौसा से दीनदयाल बैरवा उर्फ डीसी बैरवा को उम्मीदवार बनाया गया है. ऐसे में अब सीट पर मुकाबला तय हो गया है. भाजपा पहले ही किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा कोई मैदान में उतार चुकी है. जातिगत समीकरणों की बात की जाये तो दौसा सीट पर मुकाबला टक्कर का हो सकता है.
कांग्रेस इस सीट पर मीणा तो भाजपा ब्राह्मण उम्मीदवार उतारती रही है. लेकिन इस बार भाजपा ने भी मीणा उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में भाजपा को सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है. शंकर लाल शर्मा ने साल 2013 में यहां जीत हासिल की थी. वहीं कांग्रेस ने इस बार दलित उम्मीदवार पर दांव खेला है. ऐसे में दौसा सीट के जातीय समीकरण दिलचस्प हो गए हैं.
सबसे ज़्यादा ST फिर SC
दौसा सीट पर सबसे अधिक मीणा मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब 60 हजार है. वहीं दुसरे नंबर पर अनुसूचित जाति का नंबर आता है, जिनकी संख्या करीब 50 हजार है. इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की तादाद करीब 30 हजार है. लेकिन गुर्जर और माली और मुस्लिम समेत अन्य OBC जातियां जीत हार में बड़ा किरदार अदा करती हैं, ऐसे में उम्मीदवारी तय होने के बाद इन जातियों की महत्ता और बढ़ गई है.
OBC जातियों पर रहेगी नजर !
कहा जा रहा है कि डीसी बैरवा को मुरारी लाल मीणा की सहमति के बाद ही टिकट दिया है. और बैरवा को जितवाने की जिम्मेदारी भी उनको ही दी गई है. ऐसे में माना जा सकता है कि कुछ मीणा वोटर्स कांग्रेस की तरफ जा सकते हैं. डीसी बैरवा ने एक दिन पहले कहा था कि उन्हें टिकट मिल रहा है और यह टिकट सचिन पायलट का है. ऐसे में गुर्जर वोट कांग्रेस के पाले में जा सकता है. वहीं भाजपा की बात करें तो उसकी नजर अन्य OBC जातियों पर रहेगी. साथ में बड़ी तादाद सामान्य वर्ग के मतदाताओं की है. जो ऐतिहासिक तौर पर भाजपा के साथ रहे हैं, अगर इस बार भी वो साथ रहे तो भाजपा को फायदा हो सकता है.
कौन हैं डीसी बैरवा ?
दीनदयाल बैरवा उर्फ डीसी बैरवा की राजनीतिक पृष्ठभूमि है उनके पिता किशन लाल बैरवा 2005 से 2010 तक दौसा पंचायत समिति के प्रधान रहे हैं. फिलहाल उनकी पत्नी लवाण पंचायत समिति की प्रधान हैं.
सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर
दौसा विधानसभा सीट पर भाजपा सरकार के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस नेता सचिन पायलट दोनों की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा दौसा से सांसद निर्वाचित हुए, उसके बाद यह सीट खाली हो गई थी. पिछले दस वर्षों से यह सीट भाजपा के लिए चुनौती बनी हुई है.
दौसा विधानसभा सीट पर शंकर शर्मा ने साल 2013 में जीत हासिल की थी. हालांकि इसके बाद साल 2018 और 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार मुरारी लाल मीणा से हार का सामना करना पड़ा. मुरारी लाल ने शंकर शर्मा को इस बार 31204 वोटों से शिकस्त दी.
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