
Rajasthan News: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के उत्सव के बीच जयपुर के राधा-गोपीनाथ जी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की अनोखी प्रतिमा लोगों का ध्यान खींच रही है. इस प्रतिमा की खासियत है इसके हाथ में बंधी घड़ी, जो भगवान की नाड़ी के स्पंदन से चलती है. यह अनोखी परंपरा और आस्था का संगम इस मंदिर को देशभर में चर्चा का विषय बना रहा है.
श्रीकृष्ण के पड़पोते ने बनाई प्रतिमा
राधा-गोपीनाथ जी मंदिर जयपुर के गणगौरी बाजार के पास पुरानी बस्ती में स्थित है. मंदिर के महंत सिद्धार्थ गोस्वामी बताते हैं कि इस प्रतिमा को भगवान श्रीकृष्ण के पड़पोते वज्रनाभ ने बनाया था. यह प्रतिमा उसी शिलाखंड से तैयार की गई, जिस पर कंस ने श्रीकृष्ण के भाई-बहनों को मारा था.
वज्रनाभ ने अपनी दादी के कहने पर यह प्रतिमा बनाई, जिसमें श्रीकृष्ण का वक्ष स्थल और कमर बिल्कुल उनके स्वरूप जैसा है. इस शिलाखंड से तीन प्रतिमाएं बनीं- जयपुर के गोविंद देव जी, करौली के मदन मोहन जी और गोपीनाथ जी की यह प्रतिमा.
नाड़ी से चलती है घड़ी
मंदिर की सबसे अनोखी बात है भगवान की प्रतिमा को पहनाई जाने वाली घड़ी. महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के अनुसार, आजादी से पहले एक अंग्रेज ने कहा था कि अगर प्रतिमा में प्राण हैं, तो यह घड़ी भगवान की नाड़ी के स्पंदन से चलेगी. जब घड़ी ठाकुर जी को पहनाई गई, तो वह सचमुच चलने लगी. यह चमत्कार आज भी श्रद्धालुओं के लिए आश्चर्य और आस्था का केंद्र है.
श्रद्धालुओं की गहरी आस्था
मंदिर में रोजाना सैकड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. 90 साल की मोहिनी देवी पिछले 60 सालों से रोज मंदिर आती हैं. वे भगवान को ‘गोपी' कहकर बुलाती हैं और हंसते हुए बताती हैं, “मैंने गोपी से अपने लिए घर मांगा है. जब उनके धाम जाऊंगी, तो वही रहूंगी.” उनकी यह भक्ति मंदिर के प्रति लोगों की गहरी श्रद्धा को दर्शाती है. जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.
Note- NDTV इस तरह की धार्मिक कहानियों की पुष्टि नहीं करता है.
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