Jaisalmer Tube well: देश की पश्चिमी सरहद पर बसे जैसलमेर के बाहला के 27 बीडी चक इलाके में बीते 28 दिसंबर को सुबह 6 बजे ट्यूबवेल खुदाई के दौरान हुई भूगर्भीय घटना बेहद चौंकाने वाली थी. ट्यूबवेल की बोरिंग के दौरान भारी दबाव के कारण ट्रक और 22 टन वजनी मशीन देखते ही देखते जमीन में समा गए. इसके बाद भूगर्भ से पानी और गैस क साथ सिलट का तेज प्रेशर बाहर निकलने का सिलसिला शुरु हुआ और रेगिस्तान में मानो समुंद्र की उत्पति हो गई. लेकिन 29 दिसंबर रात करीब 11 बजे अचानक यह सिलसिला थम गया. 28 दिसंबर से 29 दिसंबर तक हुई घटना को लेकर 31 दिसंबर को ONGC की क्राइसिस मैनेजमेंट टीम ने घटना स्थल का निरीक्षण किया. इस निरीक्षण के दौरान सामने आए तथ्यों को लेकर क्राइसिस मैनेजमेंट टीम ने 1 जनवरी 2025 को जिला कलेक्टर प्रताप सिंह नाथावत को एक रिपोर्ट भी सौंपी है.
प्रेशर के साथ कही पानी और मिट्टी निकलना शुरू न हो जाए
जानकारी के अनुसार तेल और प्राकृतिक गैस निगम की क्राइसिस मैनेजमेंट टीम ने बोरवेल की स्थिति को देखा और मौके का जायजा लिया और घटना स्थल से दूरी बनाए रखने की नसीहत दी. क्योंकि ट्रक और मशीन को बाहर निकालना बड़े खतरे को न्योता देना होगा. संभावना यह भी जताई जा रही है कि ट्रक और 22 टन वजनी मशीन के कारण ही पानी व गैस का प्रेशर के साथ रिसाव बंद हुआ हो. मशीन निकलने से एक बार फिर प्रेशर के साथ कही पानी और मिट्टी निकलना शुरू न हो जाए. धरती में दबे ट्रक और बोरिंग मशीन को निकाला जाए या नहीं, इस संबंध में ओएनजीसी टीम ने तकनीकी रिपोर्ट कलेक्टर प्रताप सिंह नाथावत को दी है.
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर रिपोर्ट के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि ONGC की CMT टीम ने एक जनवरी को सौंपी रिपोर्ट में बताया है कि संभव है कि ट्रक और मशीन की वजह से पानी का आना बंद हुआ हो. उन्हें हटाने से फिर एक बार पहली जैसी स्थिति बन सकती है. दल-दल में दबे ट्रक और बोरिंग मशीन को न निकालने व इस विशाल गड्ढे को मिट्टी से भरकर बंद करने के बारे में भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है.
खेत मालिक विक्रम सिंह ने बताया कि इस मामले को लेकर 3 जनवरी शुक्रवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने उन्हें बुलाया था,मुलाक़ात के दौरान अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने उन्हें 3 माह तक घटना स्थल से दूर रहने के लिए कहा है. वहीं मशीन के संबंध में ADM ने कहा कि वो अंदर ही रहेगी, उसे बाहर निकालने का कोई प्रयास न करें. वहीं जिला कलेक्टर से मुलाक़ात नहीं हो पाई.
मशीन मालिक की रोजी रोटी पर आफत
विक्रम सिंह ने बताया कि मशीन मालिक उनके रिश्तेदार है और उनकी रोजी रोटी का एक मात्र साधन यह बोरिंग मशीन थी. उसकी लागत 50- 60 लाख रुपए है. जो कि एक सप्ताह से जमीन में धसी है. आज मैं पिछले 8 दिन से बेरोजगार हूं और आगे क्या होगा....कैसे होगा...उसका कोई पता नहीं चल रहा. अब प्रशासन कह रहा है कि यह मशीन नहीं निकालनी है और न ही मुआवजा देने को लेकर कोई कार्यवाही की गई है.
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