Rajasthan News: राजस्थान के झुंझुनूं जिले में एक छोटे से गांव गोठड़ा से एक अजीब घटना सामने आई है. यहां के युवा सैनिक ने दहेज की पुरानी कुप्रथा को चुनौती देकर पूरे इलाके में बदलाव की लहर पैदा कर दी. इस घटना ने साबित कर दिया कि एक व्यक्ति की मजबूत इच्छाशक्ति से समाज की जड़ें मजबूत हो सकती हैं.
दहेज लौटाने का अनोखा फैसला
गोठड़ा गांव के संजय सिंह जो भारतीय सेना में जवान हैं उनके पिता नरपत सिंह हैं. संजय की शादी सरदारशहर के सारसर गांव की ज्योति कंवर से हुई. विवाह के समय दुल्हन पक्ष से दहेज के रूप में 11 लाख रुपये दिए गए लेकिन संजय ने इन्हें लेने से साफ इंकार कर दिया.
उन्होंने सिर्फ 1 रुपया और नारियल को शगुन के तौर पर स्वीकार किया. यह फैसला संजय ने पहले से ही ले रखा था क्योंकि वे मानते हैं कि दहेज समाज को खोखला बनाता है. शादी के दौरान उन्होंने सबके सामने कहा कि ऐसी कुरीतियां खत्म होनी चाहिए ताकि लड़कियां बिना बोझ के जी सकें.
परिवार का पूरा समर्थन
संजय के इस कदम पर उनके पिता नरपत सिंह और पूरे परिवार ने गर्व महसूस किया. उन्होंने कहा कि अगर हर घर में ऐसी सोच आए तो दहेज जैसी बुराई खुद-ब-खुद मिट जाएगी. परिवार ने मिलकर इस दहेज-मुक्त शादी को सफल बनाया जो अब गांव की मिसाल बन गई है. नरपत सिंह ने बताया कि बेटे का यह निर्णय न सिर्फ घर की खुशी बढ़ाता है बल्कि समाज को नई दिशा देता है.
इलाके में फैली प्रेरणा की लहर
गोठड़ा गांव के लोग इस शादी की खूब चर्चा कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि संजय जैसे युवाओं से बदलाव की शुरुआत हो रही है. यह घटना पूरे झुंझुनूं जिले में फैल चुकी है और कई परिवारों को सोचने पर मजबूर कर रही है. दहेज के खिलाफ यह पहल बताती है कि सैनिक की तरह साहस से सामाजिक बुराइयों पर विजय पाई जा सकती है. अब उम्मीद है कि ऐसे उदाहरण से ज्यादा लोग आगे आएंगे और समाज दहेज मुक्त बनेगा.
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