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This Article is From Apr 17, 2024

कैला देवी मंदिर में निहत्थे पहुंचते थे डकैत, नवरात्रि में माता को चढ़ाते थे घंट; पुलिस भी खा जाती थी चकमा

करौली में मां कैला देवी का मंदिर ऐसी ही कई कहानियों का गवाह है जिनमें डकैतों के चर्चे विख्यात रहे हैं। इस मंदिर में डकैत मां कैला देवी की पूजा करके निकल जाते थे. पुलिस भी चकमा खा जाती थी.

कैला देवी मंदिर में निहत्थे पहुंचते थे डकैत, नवरात्रि में माता को चढ़ाते थे घंट; पुलिस भी खा जाती थी चकमा
करौली में मां कैल देवी का मंदिर है. यहां डकैत भी नवरात्रि में पूजा करने आते थे.

मंदिर प्रशासन के संतोष सिंह ने बताया कि इस मंदिर में डकैत वेश बदलकर आते थे. मां कैला देवी की पूजा करते थे. मन्नत मांगते थे और मन्नत पूरी होने पर फिर आते थे. मां को घंट चढ़ाते थे और निकल जाते थे. मंदिर के बाहर और अंदर पुलिस का कड़ा पहरा रहता था. मुखबिर पुलिस को सूचना दे देते हैं कि डकैत आ रहे हैं। पुलिस भी चौकन्नी हो जाती थी, उसके बाद भी डकैत मंदिर में पूजा-पाठ कर निकल जाते थे. 

रामेश्वर डकैत नवरात्रि व्रत भी रहता था

संतोष सिंह ने बताया कि सुनने में आता की आज कोई औतारी डकैत विजय घंट चढ़ा गया, रामेश्वर डकैत ने नवरात्रि भी किये. डकैत आते और मैया से आशीर्वाद लेकर निकल जाते. भीड़ होने के चलते वेष बदलकर निकलने मे कामयाब हो जाते थे.

राजा भोमपाल ने कैला देवी मंदिर बनवाया था

मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में ख्याति प्राप्त है. उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है. मंदिर का निर्माण राजा भोमपाल ने 1600 ई. में करवाया था. इस मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं यहां प्रचलित है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव और देवकी को जेल में डालकर जिस कन्या योगमाया का वध कंस ने करना चाहा था. वह योगमाया कैला देवी के रूप में इस मंदिर में विराजमान है.

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