Sikar: अगर आप सीकर जिले के सबसे प्रसिद्ध खाटूश्यामजी के दर्शन करने के लिए दूर-दराज के इलाकों से आ रहे हैं, तो यह आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है. शहर से महज 43 किलोमीटर दूर रिंगस में खाटू गांव में बाबा श्याम का मंदिर बना हुआ है. जहां भगवान कृष्ण और बर्बरीक की पूजा की जाती है. यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन इस 3 फरवरी को खाटू नरेश के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु थोड़े निराश होने वाले हैं. क्योंकि 19 घंटे तक बाबा श्याम के दर्शन नहीं होंगे.
19 घंटेतक बंद रहेंगे बाबा श्याम के कपाट
खाटूश्यामजी कस्बे के बाबा श्याम मंदिर के कपाट आज 3 फरवरी रात 9:30 बजे से अगले 19 घंटे तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे. जो कल यानी 4 फरवरी की शाम 5 बजे के बाद खुलेंगे. जिसके बाद श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन कर सकेंगे. इस संबंध में खाटूश्यामजी मंदिर की श्री श्याम मंदिर कमेटी के मंत्री मानवेंद्र सिंह चौहान ने एक पत्र जारी किया है. जिसके जरिए बताया गया है कि बाबा श्याम की विशेष सेवा पूजा और तिलक श्रृंगार के चलते खाटू नरेश मंदिर के पट 3 फरवरी रात 9:30 बजे से 4 फरवरी शाम 5:00 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेंगे.
7 दिन तक शालिग्राम के रूप में देंगे भक्तों को दर्शन
इस दौरान बाबा श्याम की विशेष पूजा-अर्चना और तिलक-श्रृंगार किया जाएगा. बता दें कि काली अमावस्या के बाद यह तिलक-श्रृंगार हटा दिया जाता है. उसके बाद 7 दिनों तक बाबा श्याम अपने असली स्वरूप यानी शालिग्राम में ही भक्तों को दर्शन देते हैं.
बाबा श्याम भक्तों को महीने में दो रूपों में देते हैं दर्शन
बाबा श्याम हर महीने दो रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. एक कृष्ण पक्ष में श्याम वर्ण (पीले रंग) में और दूसरा शुक्ल पक्ष की शुरुआत में 7 दिनों तक पूर्ण शालिग्राम (काले रंग) के रूप में. एक महीने में वे 23 दिनों तक श्याम वर्ण में रहते हैं. इसके बाद अमावस्या के दिन बाबा का अलग-अलग तरह के द्रव्यों से अभिषेक किया जाता है. इससे मूर्ति अपने मूल स्वरूप यानी शालिग्राम (काले रंग) में दिखाई देने लगती है.
23 दिन बाद आते है अपने मूल रूप में वापस
इस तरह बाबा श्याम शुक्ल पक्ष के सात दिनों तक इसी रूप में रहते हैं. इसके बाद बाबा श्याम के श्रृंगार के कारण यह रूप बदल जाता है. और कृष्ण पक्ष की अमावस्या के बाद वह अपने मूल स्वरूप यानी शालिग्राम में ही भक्तों को दर्शन देते रहते हैं. लेकिन इस बार बाबा के तिलक श्रृंगार के बाद 4 फरवरी की शाम 5 बजे से वे श्याम वर्ण यानी पीले रंग में ही भक्तों को दर्शन देंगे.
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