Rajasthan News: राजस्थान के किलों का इतिहास सदियों पुराना है और जब बात जैसलमेर की होती है तो हर किसी की जुबा पर सोनार दुर्ग का नाम आना स्वाभाविक है. आज हम आपको जैसलमेर के उस किले से रूबरू करवाने वाले है जो कि भारत पाक की सीमा पर बसा हुआ है. जानकारों के अनुसार उसकी बनावट कुछ हद तक पाकिस्तान के बहावलपुर में मौजूद देरावर किले सा जैसी नजर आती है. आज हम बात कर रहे जैसलमेर के दीनगढ़ की जिसे अब किशनगढ़ के नाम से जाना जाता है.
किशनगढ़ किला
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में कुछ जगहें ऐसी हैं जो हुबहू एक जैसी दिखती हैं. इनमें से एक जैसलमेर का किशनगढ़ का किला भी है. जानकार बताते है कि भारत-पाक सरहद क्षेत्र का यह किला 1000 साल पहले बना था. इस किले का निर्माण भुट्टे दावद खां उर्फ दीनू खां ने करवाया. यही कारण है कि इसका नाम दीनगढ़ पड़ा. भुट्टे के वंशजों से हुई संधि में यह किला जैसलमेर राज परिवार को मिला था. जिसके बाद इसका नाम किशनगढ़ रखा गया.
पर्यटकों के लिए खोलने की मांग
बॉर्डर पर बसे इस किले को संरक्षण की दरकरार है, जैसलमेर के पत्रकार विमल शर्मा कहते है कि बंटवारे के बाद भारत-पाक के बीच सीमाएं खींचजाने से यहां आम लोगों का आना जाना प्रतिबंधित हो गया. इसके जर्जर होने का एक बड़ा कारण यह भी है. हालांकि इसे अब सरकार बॉर्डर टूरिजम की तर्ज पर पर्यटकों के लिए खोला जाना चाहिए.
किशनगढ़ दुर्ग एक संरक्षिक स्मारक
सीमावर्ती इलाके का किशनगढ़ दुर्ग इरानी शैली में पक्की ईंटो से बना दो मंजिला किला है. किले में मस्जिद, महल और कोट में एक दरवाजों के साथ पानी का कुआं भी बना है साथ बड़ी-बड़ी प्राचीन मूर्तियां भी है. गौरतलब है कि कला साहित्य, संस्कृति और पुरातत्व विभाग की ओर से जैसलमेर के आस पास बने घोटारू, गणेशिया के साथ-साथ किशनगढ़ किले को भी संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिये इसका निरीक्षण किया गया था. निरीक्षण दल की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने अधिसूचना जारी कर सरकार से आपत्तियां मांगी गई थी, जो नहीं मिली थीं.
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