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Jaisalmer: थार के रेगिस्तान में कोणार्क गनर्स ने दिया शौर्य,पराक्रम और युद्ध कौशल का परिचय, तोपों की आवाज़ से गूंजी सरहद

Konark Gunners: अभ्यास के दौरान का एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें युद्ध क्षेत्र में तोपखाना का युद्ध का देवता बताते हुए लिखा गया कि, 'जहां कविता गड़गड़ाहट में लिखी जाती है, जहां परिदृश्य आकार लेते हैं, जहां युद्ध का कैनवास चित्रित किया गया है, जहां शांति गड़गड़ाहट से पहले आती हैं' 

Jaisalmer: थार के रेगिस्तान में कोणार्क गनर्स ने दिया शौर्य,पराक्रम और युद्ध कौशल का परिचय, तोपों की आवाज़ से गूंजी सरहद
अभ्यास के दौरान भारतीय सेना के जवान

Indian Army Conducted Maneuvers in Pokhran: थार के रेगिस्तान में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सरहद से लगती पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में एक बार फिर देश के जांबाज़ों ने शौर्य, पराक्रम और युद्ध कौशल का परिचय दिया है. रविवार को एशिया की सबसे बड़ी फील्ड फायरिंग रेंज में युद्धाभ्यास कर कोणार्क गनर्स ने अपना शौर्य दिखाया.

कोणार्क गनर्स ने युद्ध प्रक्रियाओं को परिष्कृत करने के लिए कठोर फील्ड फायरिंग अभ्यास पर केंद्रित प्रशिक्षण किया, जिससे युद्ध कौशल के सत्यापन व ऊबड़-खाबड़ इलाके में मिशन की तैयारी में सहायता मिलेगी.

 'आधुनिक तोपों के बारे में तकनीकी प्रशिक्षण लिया'

दरअसल, भारतीय सेना के जवान इन दिनों अपने युद्ध कौशल को ओर अधिक परिपूर्ण करने में जुटे हुए, जिसके तहत जैसलमेर की पोकरण फिल्ड फायरिंग रेंज में लगातार प्रशिक्षणों में युद्धाभ्यासों का दौर जारी है. इसी दौरान भारतीय सेना के कोणार्क गनर्स ने युद्ध के दरमियान काम आने वाले कई आधुनिक तोपों के बारे में तकनीकी प्रशिक्षण लिया.प्रशिक्षण के दौरान तोप के धमाकों से भारत- पाक सरहद गूंज उठी.

सैन्य सूत्रों के मुताबिक इस युद्धाभ्यास के माध्यम से भारतीय सेना ने एक संदेश दिया है कि जवान किसी भी प्रकार की परिस्थितियों में युद्ध के दौरान दुश्मन को तहस-नहस करने के लिए तैयार है. धमाकों की आवाज सरहद पार बैठे नापाक हरकत करने वालों को थर्राने लिए काफी थी.

"जहां शांति गड़गड़ाहट से पहले आती हैं'

इस प्रशिक्षण की जानकारी भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के ऑफिसियल एक्स ( ट्विटर) हैंडल पर साझा की गई हैं. इसके अनुसार ये कहा गया कि थंडर का मिलन परिशुद्धता से होता है. कोणार्क गनर्स ने युद्ध प्रक्रियाओं को परिष्कृत करने के लिए कठोर फील्ड फायरिंग अभ्यास के बाद केंद्रित प्रशिक्षण आयोजित किया गया.अभ्यास से युद्ध कौशल के सत्यापन और ऊबड़-खाबड़ इलाके में मिशन की तैयारी बढ़ाने में सहायता मिली.

अभ्यास के दौरान का एक वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें युद्ध क्षेत्र में तोपखाना का युद्ध का देवता बताते हुए लिखा गया कि, 'जहां कविता गड़गड़ाहट में लिखी जाती है, जहां परिदृश्य आकार लेते हैं, जहां युद्ध का कैनवास चित्रित किया गया है, जहां शांति गड़गड़ाहट से पहले आती हैं' 

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