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This Article is From Mar 27, 2024

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर इस बार होगा बड़ा मुकाबला, 30 मार्च और 3 अप्रैल को दिखेगी ताकत

कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल 30 मार्च को नामांकन कराएंगे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार ओम बिरला 3 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे.

कोटा-बूंदी लोकसभा सीट पर इस बार होगा बड़ा मुकाबला, 30 मार्च और 3 अप्रैल को दिखेगी ताकत

Rajasthan News: लोकसभा चुनाव 2024 में राजस्थान की सियासत काफी सुर्खियों में हैं. राजस्थान में जहां बीजेपी ने 10 सासंदों का टिकट काटा है तो वहीं कई ऐसे नेता थे जो अपने टिकट का इंतजार कर रहे थे. लेकिन टिकट न मिलने के बाद अब बीजेपी उम्मीदवार के सामने ही खड़े हैं. जिससे उन सीटों पर चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. इन सीटों में कोटा बूंदी लोकसभा सीट है जहां जबरदस्त टक्कर दिखने वाली है. क्योंकि यहां से जहां बीजेपी ने ओम बिरला को फिर से टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने प्रहलाद गुंजल को खड़ा किया है जो हाल ही में बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए हैं.

प्रहलाद गुंजल और ओम बिरला के बीच खटपट नई बात नहीं है. दोनों एक दूसरे के धूर विरोधी माना जाता है. बीजेपी में रहते हुए प्रहलाद गुंजल हमेशा से ओम बिरला के विरोधी रहे हैं. वहीं, ओम बिरला भी प्रहलाद गुंजल को पसंद नहीं करते हैं. अब दोनों ही कोटा लोकसभा सीट पर आमने सामने हैं.

30 मार्च और 3 अप्रैल को दिखाएंगे दोनों ताकत

कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर मतदान दूसरे फेज में होगा. यानी इस सीट पर मतदान 26 अप्रैल को किया जाएगा. वहीं, 28 अप्रैल से दूसरे फेज के नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है. अब दोनों ही दिग्गजों ने अपने-अपने नामांकन की तारीख तय कर दी है. ऐसे में दोनों ही उम्मीदवार नामांकन में अपनी-अपनी ताकत दिखाएंगे. दोनों प्रत्याक्षी महाराव उम्मेद सिंह स्टेडियम से कलेक्ट्रेट तक रैलियां निकालकर आवेदन करेंगे.

कांग्रेस उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल 30 मार्च को नामांकन कराएंगे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार ओम बिरला 3 अप्रैल को नामांकन दाखिल करेंगे. यानी 30 मार्च और 3 अप्रैल को कोटा में जबरदस्त रैली दिखनेवाली है.

कोटा की जनता 10 साल में बदलते हैं विकल्प

कोटा लोकसभा सीट पर जनता अपना मन बदलते रहती है. 1984 से इस सीट की बात करें तो शांति धारिवाल ने उस वक्त कांग्रेस को जिताया था. वहीं, 1989 से लेकर 1996 तक बीजेपी के दाउ दयाल जोशी ने राज किया. हालांकि इसके बाद फिर 1998 में रानारायण मीणा ने कांग्रेस की वापसी करवायी. इसके बाद 1999 और 2004 में रघुवीर सिंह कोशल ने फिर से बीजेपी को जीत दिलाई. जबकि 2009 में इज्यराज सिंह ने कोटा में कांग्रेस को जीत दिलाई. अब 2014 और 2019 में ओम बिरला भी दो बार बीजेपी के लिए जीत दर्ज कर चुके हैं. ऐसे में जनता का मन बदला तो प्रहलाद गुंजल को मौका मिल सकता है.

प्रहलाद गुंजल को जमीनी नेता माना जाता है और वह प्रहलाद गुंजल गुर्जर समाज से आते हैं और कोटा सीट पर गुर्जर वोट बैंक काफी बड़ा है. जबकि प्रहलाद गुंजल पुराने नेता और कोटा उत्तर से विधायक भी रह चुके हैं. हालांकि साल 2023 में कोटा उत्तर सीट से उन्हें कांग्रेस के शांति धारिवाल से महज ढ़ाई हजार वोटों से हार गए. प्रहलाद गुंजल का नाम गुर्जर आंदोलन में भी आता है.

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