कोटा में वाणिज्य कोर्ट ने मंडल रेल प्रबंधक कोटा (डीआरएम) ऑफिस की चल संपति कुर्की वारंट जारी होने के बाद वारंट को लागू कराने स्पेशल सेल अमीन डीआरएम के ऑफिस पहुंचे. लेकिन कुर्की की सूचना लगते ही डीआरएम ऑफिस में हड़कंप मच गया. कर्मचारी, अधिकारी मौके पर एकत्र हो गए. आनन-फानन में अधिकारियों ने कोर्ट से गुहार लगाई और समय मांगा. इसके बाद अमीन वापस लौट गए.
दरअसल, परिवादी देवेंद्र त्रिपाठी ने साल 2014-15 में वाणिज्य विभाग में साप्ताहिक ट्रेन की पार्सल लीज (लोडिंग अनलोडिंग) के बोगी को ठेके पर लिया था, जिसके बदले में रेलवे को करीब 7 लाख 40 हजार रूपए धरोहर के रूप में जमा करवाई थी. टेंडर तीन साल के लिए था, जो हर साल नवीकरण होना था. रेलवे द्वारा सुविधा नहीं देने पर ठेकेदार ने 14 महीने बाद काम बंद कर दिया और अपनी धरोहर राशि वापस लेने के लिए रेलवे से संपर्क किया.
रेलवे ने धरोहर राशि वापस नहीं लौटाई. इसके बाद देवेंद्र ने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट ने 1 साल पहले देवेंद्र के पक्ष में फैसला दिया और 5 लाख 11 हजार 555 मूल राशि के साथ 1 लाख 25 हजार 757 ब्याज सहित कुल 6 लाख 37 हजार 312 रूपए लौटने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश के बाद भी रेलवे ने पैसा नहीं लौटाया. 1 अगस्त को कोर्ट ने कुर्की वारंट जारी किया. जिसके बाद आज सेल अमीन वारंट की तामील करवाने डीआरएम ऑफिस पहुंचे.
ठेकेदार देवेंद्र के वकील कन्हैया लाल सोनी ने बताया कोर्ट के आदेश से सुबह 11 बजे कुर्की वारंट तामील कराने गए थे. डीआरएम से तामील पर साइन करने को कहा. उन्होने 2 घंटे तक टालमटोल किया और पैसे जमा करवाने के लिए शाम तक का वक्त मांगा. इस दौरान सेल अमीन ने डीआरएम की कार पर नोटिस चस्पा कर कुर्क कर दिया. इसके बाद वकील के जरिए कोर्ट से स्टे लिया गया. कार रिलीज का प्रार्थना पत्र दिया गया. कोर्ट ने फिलहाल 15 दिन की मोहलत दी है.
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