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बोरवेल में फंसी चेतना के रेस्क्यू में अब बारिश बनी बाधा, 100 घंटे से 150 फीट नीचे फंसी 3 साल की बच्ची

सोमवार, 23 दिसंबर को दोपहर लगभग दो बजे बच्ची अपने घर के ही परिसर में खोदे गए एक नए बोरवेल में गिर गई थी. यह बोरवेल 700 फीट गहरा है जिसमें बच्ची 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई है.

कोटपूतली में पांच दिन से बोरवेल में फंसी है तीन साल की बच्ची.

Kotputli Borewell Incident: राजस्थान के कोटपूटली बहरोड़ जिले के कीरतपुरा गांव में बोरवेल में गिरी 3 साल की बच्ची चेतना को 5 दिन बाद भी नहीं निकाला जा सका है. बचाव कार्य में अब बारिश की वजह से नया व्यवधान आने लगा है. गुरुवार रात से ही रुक-रुक कर बारिश हो रही है. इससे रेस्क्यू का काम प्रभावित हुआ है. बचाव स्थल पर वॉटरप्रूफ टेंट लगाए गए हैं. अधिकारियों ने बताया है कि बोरवेल के समानांतर जो दूसरी सुरंग बनाई जा रही है उसकी खुदाई का काम पूरा हो गया है. इसके बाद उसमें पाइप डालकर केसिंग की जा रही है यानी पाइप डाली जा रही हैं. इसके बाद एनडीआरएफ के प्रशिक्षित बचावकर्मी अंदर जाएंगे और खुदाई करेंगे. हालांकि, बारिश की वजह से इस प्रयास पर गंभीर असर पड़ा है

चेतना तक पहुंचने के लिए पैरलल सुरंग

पैरलल सुरंग की केसिंग के बाद बचावकर्मी बारी-बारी से अंदर जाएंगे. वो पहले नीचे जाकर होरिज़ोंटल यानी ज़मीन की ऊपरी सतह के समानांतर एक सुरंग बनाएंगे. यह 6 से 8 फीट की होगी जो बोरवेल की दिशा में जाएगी. इसके बाद वहां से ऊपर की ओर 5-7 फीट की खुदाई कर उस जगह पहुंचा जाएगा जहां चेतना अटकी हुई है.

"बारिश की वजह से वेल्डिंग के काम में मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन खराब मौसम की चुनौती के बावजूद हम प्रयास कर रहे हैं." - एनडीआरएफ़ अधिकारी

अधिकारियों के अनुसार गुरुवार रात को प्लान बी में एक बड़ी प्रगति हुई जब एक केसिंग पाइप नई सुरंग में डाला गया. लेकिन, रात भर बारिश की वजह से बचाव कार्य गंभीर रूप से प्रभावित हुआ. एनडीआरएफ़ के एक अधिकारी ने बताया, "हमने नीचे तक खुदाई कर ली है, और अब नीचे जाने के लिए केसिंग पाइप डाली जा रही है. यह बचावकर्मियों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है क्योंकि यहां की मिट्टी नम है. बारिश की वजह से वेल्डिंग के काम में मुश्किलें आ रही हैं, लेकिन खराब मौसम की चुनौती के बावजूद हम प्रयास कर रहे हैं."

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एनडीआरएफ की पहली कोशिशें रहीं नाकाम

सोमवार, 23 दिसंबर को दोपहर लगभग दो बजे बच्ची अपने घर के ही परिसर में खोदे गए एक नए बोरवेल में गिर गई थी. यह बोरवेल 700 फीट गहरा है जिसमें बच्ची 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई है. बचाव कार्य उसी दिन शुरू कर दिया गया था. पहले स्थानीय प्रशासन ने बचाव शुरू किया, और उसके बाद शाम तक जयपुर से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी पहुंच गईं.

लेकिन बचाव की सारी कोशिशें अभी तक नाकाम रही हैं. सबसे पहले देसी जुगाड़ की मदद से हुक और अम्ब्रेला तकनीक के सहारे बच्ची को ऊपर खींचने की कोशिश की गई थी. उसे 20 फीट ऊपर खींचा भी गया लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिली, जिसके बाद प्लान बी शुरू किया गया जिसमें दूसरी सुरंग खोद कर बचाव की कोशिश की जा रही है. 

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