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करौली-धौलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की बढ़ सकती है मुश्किलें, जानें आंकड़े और वजह

करोली-धौलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी का समीकरण थोड़ा बिगड़ा हुआ है. हालांकि, कांग्रेस की जीत होगी या नहीं यह तो जनता ही फैसला लेगी.

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करौली-धौलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की बढ़ सकती है मुश्किलें, जानें आंकड़े और वजह

Rajasthan Politics: राजस्थान के 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जीत का दावा कर रही है. हालांकि, बीजेपी पिछले दो बार से राजस्थान की 25 सीटों पर अपना दबदबा दिखाया है. जबकि एक बार फिर 25 सीटों को जीतने की योजना है. लेकिन राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार कुछ सीटें बीजेपी का हाथ तंग दिख रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है यहां का समीकरण और प्रत्याशी. इन सीटों में करोली-धौलपुर लोकसभा सीट ऐसा ही है. जहां बीजेपी का समीकरण थोड़ा बिगड़ा हुआ है. हालांकि, कांग्रेस की जीत होगी या नहीं यह तो जनता ही फैसला लेगी. लेकिन रविवार को धौलपुर में सीएम भजनलाल शर्मा की रैली दिखी उसके बाद कुछ चर्चाएं जोर पकड़ रही है.

सीएम भजनलाल शर्मा से पहले यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रैली कर चुके हैं. इससे भी साफ है कि यहां जीत दर्ज करने के लिए पीएम मोदी को आना पड़ा. वहीं अब सीएम भजनलाल शर्मा ने भी मोर्चा संभाला है. वह बीजेपी प्रत्याशी इंदू देवी जाटव के लिए वोट मांगते दिखे. हालांकि, उनकी रैली में भीड़ दिखी लेकिन बड़ी संख्या में कुर्सियां खाली दिखी. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि भजनलाल की रैली 3 घंटे देरी से हुई इसलिए ऐसा हुआ. क्योंकि रैली के लिए भीड़ जुटाई गई थी लेकिन देरी के बाद काफी संख्या में लोग वहां से वापस हो गए. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह अच्छे संकेत नहीं है.

बीएसपी विधायक का समर्थन और राजपूत समाज की नाराजगी

दूसरी ओर भजनलाल शर्मा के मंच पर आज बीएसपी विधायक जसवंत सिंह गुर्जर की एंट्री हुई. जबकि गिरिराज सिंह मलिंगा इस चुनावी रैली से नदारद रहे. ऐसे में यह एक बड़ा संकेत है. जहां जाटव वोट के लिए बीएसपी विधायक जसवंत सिंह गुर्जर की एंट्री हुई है. वहीं गिरिराज सिंह मलिंगा के नहीं होने से साफ हो गया है कि राजपूत समाज ने अपनी नाराजगी दिखा दी है.

जिले की राजनीति में फिर एक बार राजनीतिक भूचाल देखने को मिला है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सभा में बहुजन समाज पार्टी के विधायक जसवंत सिंह गुर्जर की एंट्री ने किले की राजनीति में उथल-पुथल पैदा कर दी है. वही बड़ी के पूर्व विधायक एवं भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा मुख्यमंत्री की सभा में शामिल नहीं हुए हैं. जिससे जिले की राजनीति में सियाशी चर्चाओं का बाजार गर्म देखा जा रहा है. जिले की राजनीति में आ रहे राजनीतिक भूचाल से निश्चित तौर पर करौली धौलपुर संसदीय सीट पर असर पड़ सकता है. कहीं कांग्रेस को फायदा तो कहीं बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

क्या कहते हैं करौली-धौलपुर के वोट बैंक के आंकड़े

बताया जाता है कि करौली धौलपुर लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा वोट बैंक जाटव समाज जो करीब सवा तीन लाख से ज्यादा है. इसके बाद मीणा समाज का है जो 1.5 लाख से ज्यादा है.यहां 1 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोट है जबकि 80 हजार राजपूत वोट बैंक है. इसके अलावा ब्राह्मण, लोदी और बघेल समाज का वोट है. इन वोट बैंकों को लेकर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जाटव वोट बीएसपी के पाले में है जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के पास है. वहीं, मीणा समाज और मुसलमान का वोट बैंक कांग्रेस पाले के लिए जाना जाता है. जबकि राजपूत समाज गुजरात के पगड़ी कांड के बाद से नाराज दिख रहा है. वहीं ब्राह्मण, लोदी और बघेल समाज बीजेपी पाले में हैं. जबकि कुशवाहा माली समाज का वोट 50-50 प्रतिशत बंटा हुआ दिख रहा है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का कहना है यह आंकड़े बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.

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