
Lok Sabha Election 2024: राजस्थान में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल तैयारी में जुटे हुए नजर आ रहे हैं. जल्द ही चुनाव को लेकर बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक का आयोजन होना है तो वहीं ओर कांग्रेस अपने उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर रही है. जल्द ही दिल्ली में कांग्रेस की एक बैठक में टिकट वितरण को लेकर सहमति बनने के संकेत बताये जा रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर राजस्थान में कांग्रेस के लिए पार्टी छोड़कर जाने वाले नेता परेशानी का सबब बने हुए हैं. बीते दिनों पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय (Mahendrajeet Singh Malviya) कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. उसके बाद मालवीया ने कांग्रेस की रीति -नीति को लेकर सवाल खड़े कर दिए और कई गंभीर आरोप भी लगाये. अब जल्द ही कांग्रेस के कद्दावर नेता रिछपाल मिर्धा भी कांग्रेस से अलविदा ले सकते हैं. क्योंकि उन्होंने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है और नारजगी जाहिर की है. ऐसे में अब रिछपाल मिर्धा (Richpal Singh Mirdha) बीजेपी की गनित में सेट हो सकते हैं. जिससे नागौर की सियासत में बड़ा उलटफेर देखने को मिलेगा.
नागौर जिले के कद्दावर नेता रिछपाल मिर्धा और उनके बेटे विजयपाल मिर्धा कांग्रेस छोड़ने के संकेत दे दिये हैं. रिछपाल मिर्धा डेगाना से पूर्व विधायक है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रिछपाल मिर्धा के बेटे विजयपाल मृदा ने डेगाना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था जहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. लंबे समय से मिर्धा परिवार का नागौर लोकसभा सीट पर दबदबा रहा है ऐसे में कांग्रेस छोड़कर यदि मिर्धा परिवार जाता है तो इसका नुकसान कांग्रेस को होगा.
रिछपाल मिर्धा का बयान
कांग्रेस छोड़कर जाने के सवाल पर रिछपाल मिर्धा ने कहा है कि ब
मिर्धा परिवार से बीजेपी में शामिल हो चुकी है ज्योति मिर्धा
इससे पहले मिर्धा परिवार की बेटी ज्योति मिर्धा भी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई जिन्हें पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव लड़वाया. हालांकि उसे हार का सामना करना पड़ा. लेकिन अब यह भी कहा जा रहा है कि इस बार भी नागौर लोकसभा सीट से ज्योति मिर्धा को भाजपा चुनाव लड़ा सकती है
नागौर सीट पर मचेगा सियासी बवाल
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि नागौर लोकसभा सीट मे 10 विधानसभा सीट हैं जहां पर जाट वोट बैंक अच्छी खासी संख्या में है . ऐसे में इस इलाके की राजनीति में जाट समाज का अच्छा खासा प्रभाव माना जाता है. वहीं इंदिरा गांधी के समय से ही मिर्धा परिवार का भी वर्चस्व इस सीट पर रहा है. अगर बात करें मिर्धा परिवार की बेटी ज्योति मिर्धा की जो भले ही वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई. लेकिन अपने साथ वोटर को नहीं ला पाई. ऐसे में इस बार रिछपाल मिर्धा और अन्य लोगों के पार्टी में आने से क्या जाट वोटर भी भाजपा के पक्ष में आएंगे यह अपने आप में यक्ष प्रश्न है. हालांकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 विधानसभा सीटों में 6 सीट कांग्रेस दो सीट भाजपा और 2 सीट आरएलपी के खाते में थी. तो वही हाल ही में हुए वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नागौर जिले में पिछड़ती हुई नजर आई. इसके पीछे की वजह बीजेपी की जाट वोट में सेंध को माना जा रहा है. इस बार के नतीजो में नागौर की 10 सीटों पर 4 पर भाजपा, 4 पर कांग्रेस और एक आरएलपी व एक निर्दलीय विजयी रहे.
ऐसे में भाजपा लोकसभा चुनाव के नजदीक बड़े जाट चेहरों को पार्टी ज्वाइन करवा सकती है. प्रदेश में एक सियासी संदेश देना चाहती है जिससे कि नागौर, सीकर और अजमेर क्षेत्र के इलाके में पार्टी का जनआधार मजबूत हो रहा.
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