
Indian Army inaugurated Prithvi Missile System at IIT Jodhpur: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव है. वहीं, राजस्थान के बॉर्डर इलाके में भारतीय सेना ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. भारतीय सेना ने आईआईटी जोधपुर (IIT Jodhpur) में पृथ्वी मिसाइल प्रणाली का अनावरण किया है. साथ ही जोधपुर में ड्रोन हमलों से लड़ने, मानव रहित विमानों की तकनीक और ऊर्जा हथियारों के अनुसंधान पर काम होगा. आईआईटी जोधपुर में राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन और अनुसंधान के लिए मानेकशॉ उत्कृष्टता केंद्र शुरू किया गया है. देश की सुरक्षा के लिए शिक्षाविद और रक्षा विशेषज्ञ आपसी समन्वय के साथ काम करेंगे. भारतीय सशस्त्र बलों के तीनों अंगों द्वारा समर्थित यह नोडल केंद्र रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान के अलावा क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा.
अत्याधुनिक तकनीक की खोज पर होगा काम
इस केंद्र का उद्देश्य उभरती राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के समाधान विकसित करने के लिए शिक्षाविदों, रक्षा विशेषज्ञों और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है. उन्नत ऊर्जा हथियार प्रणालियों के क्षेत्र में अनुसंधान के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अत्याधुनिक तकनीकों की खोज और उसे उपयोग में लाने पर काम किया जाएगा.
IIT को मिला विरासत की मेजबानी करने का सम्मान
दरअसल, पृथ्वी मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया था. भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित बैलिस्टिक मिसाइल के रूप में देश के आधुनिक मिसाइल शस्त्रागार की नींव रखी. इस समारोह में भारतीय सेना, डीआरडीओ और आईआईटी जोधपुर के शैक्षणिक नेतृत्व के शीर्ष अधिकारियों सहित विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही.

हमारे पास एनर्जी, सिनर्जी की जरूरत: ले. जनरल कपूर
आईआईटी में मानेकशॉ सेंटर के उद्धाटन और पृथ्वी मिसाइल के अवतरण के मौके पर सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने कहा, "यह एक पथ प्रदर्शक पहल है और यह हमें बहुत आगे ले जाएगी. भारत में ऊर्जा है, लेकिन भारत को तालमेल की आवश्यकता है और हमें इसे आगे ले जाना है. मुझे लगता है कि हम एक साथ प्रौद्योगिकी में नेतृत्व करने की स्थिति में हैं और न केवल उन्हें अपनाना है, उनका अनुसरण नहीं करना है." वहीं, आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश अग्रवाल ने कहा कि आईआईटी जोधपुर में यह गौरव का क्षण था, क्योंकि हमने मानेकशॉ की पहली संवाद श्रृंखला की मेजबानी की.
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