
पाकिस्तान हमले में शहीद हुए सुरेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर आज (रविवार) को झुंझुनूं के मेहरादास गांव पहुंचेगा. वे उधमपुर के 39 विंग एयर बेस में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट के पद पर तैनात थे. उनके शहीद होने की खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई. सभी की आंखें नम हो गईं और गांव में किसी के घर चूल्हा तक नहीं जला.
शहीद की पत्नी बोली- मुझे पति पर गर्व है
पत्नी सीमा को जैसे ही खबर मिली, वह बेहोश हो गईं और उन्हें तुरंत नवलगढ़ जिला अस्पताल ले जाया गया. होश में आने पर उन्होंने कहा, “मुझे अपने पति पर गर्व है. मैं अपने बेटे को भी सेना में भेजूंगी.” उनकी मासूम बेटी वृत्तिका और बेटा दक्ष अपने पापा की तस्वीर को निहारते रहे, जैसे पूछ रही हों – “पापा, आप कब लौटोगे?”
फोन पर साथी ने दी सूचना, पत्नी बेहोश
सीमा के पिता, पूर्व सैनिक रामनिवास मील को शनिवार सुबह लगभग 6:30 बजे पूर्व सैनिकों के व्हाट्सएप ग्रुप में एक अंग्रेज़ी संदेश मिला. जो लिखा थ, "एज पर रिपोर्ट उधमपुर ओल्ड एटीसी बिल्डिंग एंड एसएनसीओ मेस हेज बीन हिट." उन्होंने यह बात सीमा को बताई, जिसने तुरंत पति को फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ. बार-बार प्रयास करने पर सुरेंद्र के एक साथी ने फोन उठाया और कहा, "सुरेंद्र इज नो मोर..." इतना सुनते ही सीमा जोर से चिल्लाई और बेहोश हो गईं.
सुरेंद्र ने पत्नी को गांव भेज दिया
रामनिवास ने जब पुष्टि के लिए ग्रुप के कैप्टन को कॉल किया तो जवाब मिला, "आज मैंने अपना सच्चा हीरो खो दिया है."सीमा ने बताया कि हालात बिगड़ते देख सुरेंद्र ने गुरुवार शाम को ही उन्हें बच्चों के साथ ट्रेन से रवाना कर दिया था. वह खुद नहीं आना चाहती थीं, लेकिन सुरेंद्र ने बच्चों की खातिर भेज दिया.
2010 में सेना में हुए थे भर्ती
सुरेंद्र कुमार की पढ़ाई झुंझुनूं के राजस्थान पब्लिक स्कूल और जीआर पब्लिक स्कूल में हुई थी. बीएससी की पढ़ाई उन्होंने मोरारका कॉलेज से की थी. वे 1 जनवरी 2010 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. उनकी शहादत की खबर से पूरा गांव गमगीन है. जिला कलेक्टर ने कहा कि सुरेंद्र कुमार के परिवार के साथ केंद्र और राज्य सरकार पूरी तरह खड़ी है. उनकी शहादत पर पूरे जिले को गर्व है, साथ ही अपार दुख भी.
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