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आजादी के 78 साल बाद बाड़मेर के इन गांवों में पहुंचा पानी, NDTV ग्राउंड रिपोर्ट में ग्रामीणों ने बताई अपनी परेशानी

राजस्थान के बाड़मेर जिले में कुछ गांव इसे भी है जहां 78 साल बाद पानी पहुंचा है. गांवों के लोगों ने बताया की 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने गांव के कुओं को बंद कर दिया था.

आजादी के 78 साल बाद बाड़मेर के इन गांवों में पहुंचा पानी, NDTV ग्राउंड रिपोर्ट में ग्रामीणों ने बताई अपनी परेशानी
घरों में लगे हुए नल.

Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान का बाड़मेर जिला हमेशा से ही अभावों के लिए जाना जाता है. यहां कभी बारिश का अभाव होता था तो कभी अनाज. इस जिले में शिक्षा, सड़क और चिकित्सा का अभाव तो है ही. लेकिन जिले में इन सब से बड़ा अभाव था पीने के पानी का. 21वीं सदी में भी कुछ महीने पहले तक बाड़मेर के सैकड़ों गांवों को पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं होता था.

लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. जिले के सीमावर्ती गांवों में अब नर्मदा नहर परियोजना और 'हर घर नल योजना' से पानी पहुंचाया जा रहा है. इसी को लेकर एनडीटीवी की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची है और ग्रामीणों से जानने की कोशिश की हर घर नल से उनके जीवन में कितना बदलाव आया है.

पाकिस्तानी सेना ने बंद कर दिए थे कुएं

टीम जिला मुख्यालय से 185 किलोमीटर बाड़मेर-जैसलमेर और पाकिस्तान सीमा पर बसे सुंदरा गांव पहुंची. यहां जीवन के करीब 75 साल पार कर चुके गिरधर सिंह ने बताया कि साल 1965 के भारत-पाक युद्ध में गांव पर पाकिस्तानी सेना का कब्जा हो गया था. उस वक्त गांव में पीने के पानी के लिए कुएं बने हुए थे. लेकिन पाकिस्तानी फौज ने उनमें बारूद डाल कर उनको बंद कर दिया. 

गांवों में पानी पीते हुए पशु.

गांवों में पानी पीते हुए पशु.

10 किलोमीटेर दूर से लाते थे पानी

कुछ समय बाद जब गांव पाक फौज के कब्जे से मुक्त हुआ तो गांव के लोग वापस पहुंचे. लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की थी. ऐसे में ग्रामीणों को ऊंट बेल और गधों पर गांव से करीब 10 किलोमीटर दूर बोई गांव से पानी लाकर जीवन जीने को मजबूर थे.

उस पानी में भी फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा थी. जिससे ग्रामीणों को कई बीमारियां जकड़ लेती थी. वहीं पशुओं के लिए तो पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं होता था. इसलिए ही कहते हैं कि घी इन इलाकों सस्ता था, लेकिन पानी मंहगा था. लेकिन अब यहां हालात बदल रहे हैं. अब हर घर नल लग चुके हैं. ऐसे में घर के आगे ही नल से मीठा पानी मिल जाता है.

नल योजना का बोर्ड.

नल योजना का बोर्ड.

ग्रामीण कर रहे सप्लाई बढ़ाने की मांग 

इस योजना की शुरुआती दोनों में बेहद ही कम पानी दिया जा रहा है. ऐसे में गांव में 10 से 15 दिन में एक बार सप्लाई छोड़ी जा रही है. ग्रामीण इसमें बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही इस इलाके में बिजली ट्रिपिंग भी बड़ी समस्या है दिन में कई बार बिजली कट जाती है.

ऐसे में सभी गांवों तक पूरा पानी नहीं पहुंच पता है. इसको लेकर नर्मदा नहर परियोजना में लगी कंपनी NCC के पंप ऑपरेटर से बात की उन्होंने बताया कि गांव में पेयजल हेतु एक शेड्यूल बनाया गया है. जिसके तहत पानी छोड़ा जा रहा है. वहीं बिजली कटौती बड़ी समस्या है जिसका निदान होगा तो ग्रामीणों को निर्बाध रूप से पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाएगा.

रेगिस्तान के बीच के गांव और पशु.

रेगिस्तान के बीच के गांव और पशु.

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