
Pakistan Attacked Jaisalmer: पाकिस्तान ने गुरुवार रात (8 मई) को भारत में 15 शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की. इनमें राजस्थान के भी 5 शहर - जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर - पर भी हमले की कोशिश की गई. राजस्थान के ये सीमावर्ती शहर सामरिक दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं. जैसलमेर में जिस वक्त हमले की कोशिश हुई उस समय NDTV संवाददाता और रेज़िटेंड एडिटर हर्षा कुमारी सिंह पाकिस्तानी सीमा के पास रिपोर्टिंग करने के बाद जैसलमेर लौट रही थीं. बीच रास्ते में ही उन्होंने पाकिस्तानी रॉकेटों को जैसलमेर की ओर आते हुए देखा. कैसा था वो मंज़र और कुछ ही घंटे के अंदर जैसलमेर में कैसे बदला माहौल, पढ़िए उनका आंखों देखा हाल.
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पाकिस्तान सीमा के पास तनोट मंदिर से रिपोर्टिंग
8 मई की सुबह हम जैसलमेर में हम बॉर्डर एरियाज में निकल गए थे और हमने पाकिस्तान की सीमा से करीब 17 किलोमीटर दूर तनोट मंदिर जाकर गांव के लोगों से बातचीत की. यहां के लोग मानते हैं कि 71 की लड़ाई में जो बम गिरे थे वो नहीं फटे. फिर हम आगे रामगढ़ की तरफ निकल गए. तब वहां स्थिति सामान्य थी. लोगों में कोई भय, दहशत नहीं थी. गांव के लोगों को बीएसएफ ने हिदायत दी थी कि वो बॉर्डर की ओर नहीं जाएं क्योंकि वहां पशुपालक कई बार अपने पशु को लेकर पाकिस्तान के बॉर्डर तक भी चले जाते हैं.
गांव के लोगों ने बताया कि वो पूरी तरह से तैयार हैं और उन्हें गांव खाली करने के लिए नहीं कहा गया है. उसके बाद हमें बीएसएफ के आईजी ने बताया कि कहा कि यहां स्पाइंग की गतिविधि बढ़ गई है और पाकिस्तान के नंबरों से लोगों के पास काफी कॉल्स आ रहे हैं और पूछ रहे हैं कि वहां क्या चल रहा है. उन्होंने लोगों को इन कॉल्स को नहीं उठाने की सलाह दी.
देखिए तनोट माता मंदिर से रिपोर्ट -
जैसलमेर के पास आसमान में दिखीं लाल लाइट
इसके बाद हम जैसलमेर की ओर वापस लौटने लगे. रास्ते में मोहनगढ़ के पास रात करीब 9:00 बजे मैंने गाड़ी में चलते हुए नोटिस किया कि बार बार दोनों तरफ से आसमान में कुछ उड़ रहा है. पहले तो लाइट लाल दिख रही थी और उसके बाद में सफेद लाइट टिमटिमाती हुई दिख रही है. तब बारिश का मौसम था और बिजली भी चमक रही थी. फिर हम लोग वहाँ रुक गए और अपने कैमरामैन से कहा कि वो इसे शूट करे. उन्हें लगा कि ये कुछ नहीं है. लेकिन तभी हमें ये सूचना मिली कि जैसलमेर में ब्लास्ट की आवाज आ रही है.
इसके बाद वहां ब्लैकआउट हो गया. हमने नोटिस किया कि वैसे तो ब्लैकआउट का टाइम 12:00 बजे का है, लेकिन तब 9:00 ही बजे थे और वहां पूरी तरह ब्लैक आउट हो गया. इसके साथ ही रास्ते पर जो भी लोग थे उनसे सुरक्षाकर्मी कह रहे थे कि वो लाइट ऑफ कर दें. हम रोड पर ही खड़े थे और हमने देखा कि पूरा ब्लैकआउट हो गया. हमारी गाड़ी का भी लाइट ऑफ करवा दिया गया. हमने मोबाइल की लाइट से ही छोटा सा लाइव किया क्योंक हमें ये खबर पहुंचानी थी.
धमाकों की तेज़ आवाज़ें
लेकिन हमारे देखते-देखते वहां हमारे धमाकों के जैसी आवाज़ें सुनाई लगीं जो बहुत पास लग रही थीं. तो हमने वहां से निकलने का फैसला किया. मैंने अपने एडिटर संतोष जी को फोन किया जिन्होंने हमें तुरंत किसी सुरक्षित जगह जाने के लिए कहा. हम गाड़ी में बैठ कर निकल गए. उस टाइम थोड़ा सा भय का माहौल था, हमें भी डर लगा क्योंकि ब्लास्ट की आवाज बहुत नजदीक थी.
हम लौटते समय मुख्य सड़क से नहीं जाकर नीचे के एक दूसरे रास्ते से लेकिन रास्ते में हमें सेना ने एक पुल के नीचे रोक दिया और कहा कि दूर से तेज़ धमाकों की आवाजें आ रही हैं. तब तेज़ बारिश हो रही थी. फिर जब धमाकों की आवाज़ कुछ कम हुई तो हमने होटल लौटने का फैसला किया क्योंकि हमारे कैमरा और फोन की बैटरी भी डिस्चार्च हो रही थी, और हमें मालूम था कि अब अगर जैसलमेर पर अटैक होता है तो हमें रिपोर्टिंग भी करनी है.
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बिना लाइट जलाए अंधेरे में होटल वापसी
लेकिन हम जैसे ही जैसलमेर पहुंचे तो पुलिस ने हमें रोक दिया. वहां बहुत अफरातफरी मची हुई थी. पुलिस जगह-जगह गाड़ियों को रोक रही थी, उनकी लाइट्स ऑफ करवा रही थी. उसी टाइम रात को पुलिस का एक दस्ता गश्त पर निकला जो लाउडस्पीकर पर लोगों से रास्ते से चले जाने के लिए कह रहे थे. हमसे कहा गया कि हम चल कर होटल जाएं. लेकिन मुझे महिला देखकर उन्होंने गाड़ी में जाने दिया लेकिन लाइट ऑन नहीं करने दिया.
फिर घुप्प अंधेरे में ही हम किसी तरह बिना लाइट के कार से होटल लौटे. तब रात के 11 बज रहे थे, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहाँ है. होटल वालों ने बहुत सहयोग किया और हमें एक लाइट ऑन रखने दिया. हमने उसी से रात तक लाइव किया.
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