Rajasthan News: राजस्थान का बंसी पहाड़पुर (Bansi Paharpur) सफेद पत्थर के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) निर्माण के लिए यहीं से पत्थर गया है. लेकिन, यहां खनन (Mining) कार्य करते समय लीज धारकों द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा (Environmental Protection) के लिए आवश्यक उपाय नहीं किया जा रहा है. इसी के चलते नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 27 लीज पर करीब 4.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट के आधार पर जुर्माना
स्थानीय निवासी याद राम सिंह ने बताया कि लीज धारकों द्वारा बंसी पहाड़पुर क्षेत्र में वैध और अवैध दोनों प्रकार से खनन कार्य होता है. इस दौरान पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपाय भी नहीं किए जाते हैं, जिसके चलते यहां एयर पॉल्यूशन अधिक है और यहां के लोग सिलिकोसिस (Silicosis) बीमारी से पीड़ित हैं. करीब 9 महीने पहले केंद्र और राज्य सरकार को पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर मजबूरन सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. ऐसे में अब एनजीटी की चार सदस्य टीम ने बंसी पहाडपुर पहुंचकर प्रदूषण के बारे में जांच की और फाइनल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को पेश की. इसी रिपोर्ट के आधार पर लगभग 4.25 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया गया.
बंसी पहाड़पुर में सिलीकोसिस के 475 मरीज
बंशी पहाड़पुर क्षेत्र में कुल 41 लीज हैं, जिनमें से 37 को खनन की मंजूरी है. इनमें से 27 को रवन्ना जारी किए गए हैं. अधिकांश लीज में पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में नहीं रखते हुए पानी का छिड़काव नहीं करना, वायु गुणवत्ता अन्वेषण मशीनों को नहीं लगाना, फॉरेस्ट एरिया का चिन्हीकरण नहीं करने के साथ-साथ खनन डिमार्केशन पिलर नहीं होना आदि है. आपको बता दें कि खनन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के अंदर सांसों में सिलिका युक्त धूल लगातार जाती रहती है. इस धूल से फेफड़ों में होने वाली बीमारी को सिलिकोसिस कहा जाता है. इसमें मरीज के फेफड़े खराब होने के साथ ही उसकी सांस फूलने लगती है. इसके चलते फेफड़ों के कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है. इस बीमारी का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है. बंसी पहाड़पुर में करीब 475 सिलीकोसिस मरीज हैं.
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