NIA Raid in Rajasthan: मानव तस्करी और साइबर फ्रॉड के मामले में शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने राजस्थान सहित तीन राज्यों के कई स्थानों पर छापेमारी की. यह छापेमारी गुरुग्राम के फेमस यूट्यूबर बॉबी कटारिया के कबूतरबाजी से जुड़े बताए जा रहे है. दरअसल नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NAI) ने शुक्रवार को राजस्थान सहित तीन राज्यों के कई स्थानों पर छापेमारी की, ताकि लाओस मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामलों में शामिल विभिन्न संदिग्धों की संलिप्तता की पहचान की जा सके.
दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में 5 जगहों पर तलाशी
एनआईए टीमों ने तीन राज्यों—दिल्ली, हरियाणा, और राजस्थान—में पांच स्थानों की तलाशी ली. यह कार्रवाई भारत के कमजोर युवाओं को लाओस के गोल्डन ट्राएंगल एसईजेड में तस्करी करने वाले व्यक्तियों और ट्रैवल एजेंटों पर एजेंसी की चल रही कार्रवाई का हिस्सा थी. तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरण और दस्तावेजों सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई. एजेंसी ने एक प्रेस बयान में कहा, “तलाशी की गई जगहें मुख्य आरोपी बलवंत उर्फ बॉबी कटारिया के सहयोगियों और कार्यालयों से संबंधित थीं.”
गुरुग्राम सहित कई जगहों से चल रहा खेल
एजेंसी ने यह भी बताया कि उनकी जांच में पता चला है कि संदिग्ध पीड़ितों को तस्करी में संभाल रहे थे और उन्हें लाओस में एक साइबर धोखाधड़ी कंपनी में भर्ती और उनके लॉजिस्टिक्स को संभाल रहे थे. “जांच के दायरे में मानव तस्करी सिंडिकेट गुरुग्राम और भारत के भीतर और बाहर के अन्य क्षेत्रों से संचालित हो रहा था. यह पीड़ितों की भर्ती, परिवहन और भारत से लाओस के गोल्डन ट्राएंगल एसईजेड में उनके स्थानांतरण से संबंधित है,” बयान में कहा गया.
एनआईए ने इसी महीने अपने हाथ में ली है केस
एजेंसी द्वारा जारी बयान में बताया गया कि गुरुग्राम पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामले को एनआईए ने इसी महीने की शुरुआत में अपने हाथ में लिया है. इसकी प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि जिन संदिग्धों के परिसर की आज तलाशी ली गई, वे आरोपी बलवंत उर्फ बॉबी कटारिया, एमबीके ग्लोबल वीजा प्राइवेट लिमिटेड के मालिक, के लिए काम कर रहे थे.
धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने वाले को अपने जाल में फंसाते थे
ये संदिग्ध विदेशों में आकर्षक नौकरियों का वादा करके युवाओं को फंसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे. अंग्रेजी में प्रवीण पीड़ितों को सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से लुभाया गया और धोखाधड़ी से लाओस भेजा गया, जहां उन्हें फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया गया. यदि उन्होंने सहयोग करने से मना किया तो उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उनके यात्रा दस्तावेज छीन लिए गए.
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