Orobanki weed: सरसों की फसल के लिए अभिशाप माने जाने वाली रुखड़ी यानी ओरोबेंकी खरपतवार के बढ़ते प्रकोप ने चुरू जिले के किसानों की नींद उड़ा दी है. रबी फसल सरसों की फसलों की जड़ों में उगने वाले लाइलाज ओरोबेंकी खरपतवार से सरसों की फसल की चौपट होने की आशंका बढ़ गई है.
राजस्थान में रबी की फसलों के हब के रूप में मशहूर चूरू जिले में इस बार सरसों की फसल को ओरोबैंकी (रुखड़ी) खरपतवार का खतरा बढ़ा है, जिससे जिले के किसान परेशान हैं. बड़ी बात यह है कि कृषि विभाग के पास इसका कोई प्रभावी इलाज नहीं है, जिससे ओरोबैकी (रुखड़ी) खरपतवार लगातार फैलती जा रही है.
गौरतलब है किसान पहले अपने स्तर पर फसल चक्र अपना कर और निराई- गुड़ाई से नियंत्रित करने का प्रयास करते रहे हैं, लेकिन किसानों द्वारा लगातार सरसो की फसल उगाने से ओरोबैंकी (रुखड़ी) खरपतवारों की संभवना बढ़ जाती है. ये खरपतावार उगने से सरसों के पौधों के नीचे के स्तर में हल्की गांठ बन जाती है, जिसके बाद फसल नष्ट होने लगती है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सरसों की फसलों को इस रोग से बचने के लिए किसानों को गहरी जुताई करनी चाहिए और फसल को बदलकर बोनी चाहिए. उन्होंने बताया कि चुरू जिले में इस बारओरोबैंकी (रुखड़ी) का रोग सरसों में बढ़ता जा रहा है. इन खरपतवारों से सरसों के पौधों की ग्रोथ बंद हो जाती है और बहुत तेजी के साथ फैलता है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सरसों के पौधे की जड़ें एक विशेष प्रकार का ओरोबेंकाले / इलेक्ट्रॉल नामक रासायनिक उत्तेजक छोड़ती है, जो ओरोबैंकी के बीज के लिए उत्तेजक का कार्य करता है. बीज अंकुरित होकर सरसों की पौधों की जड़ों से जुड़ जाते है, जिससे निदान के लिए अभी तक कोई तकनीकी विकसित नहीं हुई है. .
उल्लेखनीय है सरसों की फसल की बुवाई के 20 से 40 दिन बाद जब फसल में फूल व फलियां आने लगती हैं, तब यह परजीवी सरसों की फसलों की जड़ों में ओरोबैंकी खरपतवार उगना शुरू होता है. दाना बनते समय खरपतवार जड़ों से लवण व पानी सोख लेता है, जिससे सरसों की फसल सूखकर नष्ट होन ेलगती है.
ये भी पढ़ें-सफेद फूलों से चहका काले सोने का कारोबार , चित्तौड़गढ़ के 673 गांवों में होती है इसकी खेती