Padma Award 2025: गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने शनिवार को पद्म सम्मान 2025 की घोषणा कर दी. इस बार 7 हस्तियों को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा. पद्म विभूषण से सम्मानित होने वाले हस्तियों में दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी (मेडिसिन), न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जगदीश सिंह खेहर (सार्वजनिक मामले), कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया (कला), लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम (कला). एम. टी. वासुदेवन नायर (साहित्य और शिक्षा) मरणोपरांत, ओसामु सुजुकी (व्यापार और उद्योग) मरणोपरांत, और शारदा सिन्हा (कला) मरणोपरांत का नाम शामिल हैं.
पद्म भूषण से ये 19 हस्तियां होंगी सम्मानित
ए सूर्य प्रकाश (साहित्य और शिक्षा - पत्रकारिता)
अनंत नाग (कला)
बिबेक देबरॉय (मरणोपरांत) साहित्य और शिक्षा
जतिन गोस्वामी (कला)
जोस चाको पेरियाप्पुरम (चिकित्सा)
कैलाश नाथ दीक्षित (अन्य - पुरातत्व)
मनोहर जोशी (मरणोपरांत) सार्वजनिक मामले
नल्ली कुप्पुस्वामी चेट्टी (व्यापार और उद्योग)
नंदमुरी बालकृष्ण (कला)
पीआर श्रीजेश (खेल)
पंकज पटेल (व्यापार और उद्योग)
पंकज उधास (मरणोपरांत) कला
रामबहादुर राय (साहित्य और शिक्षा पत्रकारिता)
साध्वी ऋतंभरा (सामाजिक कार्य )
एस अजित कुमार (कला)
शेखर कपूर (कला)
सुशील कुमार मोदी (मरणोपरांत) सार्वजनिक मामले
विनोद धाम (विज्ञान और अभियांत्रिकी)
राजस्थान की लोकगायिका बेगम बतूल को पद्म श्री सम्मान
राजस्थान की लोकगायिका बेगम बतूल को पद्म श्री सम्मान दिए जाने की घोषणा हुई है. बेगम बतूल जयपुर की प्रसिद्ध लोक गायिका हैं. हिंदू भजन और मुस्लिम मांड की शानदार कलाकार जिनके शब्दों में सांप्रदायिक सौहार्द का एक अलग एहसास सीधा दिलों के तार छेड़ता है. मुस्लिम होने के बाद भी बेगम बतूल हिंदू देवी-देवताओं के कई भजन बड़े प्रेम भाव से गाती हैं. जिसे सुनकर हर कोई दंग रह जाता है.
राजस्थान के आध्यत्मिक गुरु बैजनाथ महाराज को पद्म श्री
बेगम बेतुल और शीन काफ निजाम के अलावा राजस्थान के आध्यात्मिक गुरु बैजनाथ महाराज को पद्म श्री से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है. अध्यात्मवाद पर गुरु बैजनाथ महाराज ने काफी कुछ काम किया है. बैजनाथ महाराज सीकर के लक्ष्मणगढ़ के रहने वाले हैं. श्रीनाथ जी आश्रम के गद्दी पर ये 1995 से विराजमान है. इसके अलावा और भी कई हस्तियों का नाम पद्म श्री की लिस्ट में शामिल हैं.
6 साल की उम्र में श्रद्धानाथ जी महाराज के शिष्य बने
लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धनाथजी आश्रम के पीठाधीश्वर संत बैजनाथ जी महाराज का जन्म 1935 में समीपवर्ती गांव पनलावा में हुआ था. छः साल की उम्र में ही नाथ संप्रदाय के विलक्षण अवधूत संत श्री श्रद्धानाथ जी महाराज ने इन्हें अपना शिष्य बनाकर बैजनाथ नाम दिया. उन्होंने भारत भ्रमण के दौरान इन्हें विभिन्न तीर्थ स्थानों का भ्रमण करवाया. 1960 से लेकर 1985 तक संत बैजनाथ महाराज ग्राम भारती विद्यापीठ कोठ्यारी में प्राचार्य के पद पर रहकर ग्रामीण अंचल में शिक्षा की अलख जगाई. 1985 में सेवानिवृत्त होने पर परम संत श्री श्रद्धानाथ जी महाराज ने अधिकृत रूप से बैजनाथ महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया.
हजारों बच्चों को वैदिक शिक्षा दे रहे बैजनाथ महाराज
तब से लेकर आजतक संत बैजनाथ जी महाराज लक्ष्मणगढ़ स्थित श्रद्धानाथ जी महाराज के आश्रम के पीठाधीश्वर के रूप में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे है. वैदिक शिक्षा की अलख जगाने के उद्देश्य से इन्होंने श्रद्धा संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना की, जिसके माध्यम से हजारों बच्चों को योग वैदिक शिक्षा दीक्षा देने का कार्य कर रहे है. योग शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए इन्होंने श्रद्धा योग व शिक्षण संस्थान की स्थापना की. आज भी सैकड़ों बच्चों को योग के माध्यम से शिक्षित करने का कार्य कर रहे हैं. गरीब व असहाय लोगों की मदद हमेशा करते रहते है.
राजस्थान के प्रसिद्ध लेखक शीन काफ निजाम (शिव किशन बिस्सा) को पद्म श्री
राजस्थान से पद्म श्री पाने वाले दूसरे शख्स का नाम शीन काफ निजाम उर्फ शिव किशन बिस्सा हैं. शीन काफ़ निज़ाम उर्दू के बड़े शायर हैं। जोधपुर के रहने वाले शीन काफ़ निज़ाम का नाम घरवालों ने शिव रखा था. बाद में वे शीन काफ़ निज़ाम के नाम से लिखने लगे, इसी नाम से उन्हें प्रसिद्धि दी. उन्हें 2010 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड से भी नवाजा गया। यह सम्मान उनके कविता संग्रह गुमशुदा दैर की गूंजती घंटियां के लिए मिला था. शीन काफ़ निज़ाम के बारे में एक बार प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने कहा था, "मैं अपनी गजलें शीन काफ़ निज़ाम को भेजता हूं. अपना लिखा उनसे एडिट करवाता हूं."