
Pratapgarh News: सरकार जनता के लिए सुविधाएं और योजनाएं तो लेकर आती है, लेकिन इस योजना का लाभ कुछ अधिकारियों और जिम्मेदार लोगों की लापरवाही की वजह से लाभार्थियों को नहीं मिल पाता है. ऐसा ही मामला प्रतापगढ़ से सामने आया जिसे एनडीटीवी ने प्रमुखता से उठाया. अब इस की खबर का बड़ा असर देखने को मिला है. दरअसल प्रतापगढ़ जिले के धरियावद क्षेत्र की आक्या खेड़ा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पिछले 10 वर्षों से बंद कमरे में पड़ी सैकड़ों आदिवासी स्कूली बालिकाओं के लिए एक NGO नन्ही कला योजना के तहत आई सहायता सामग्री वितरित नहीं गई है.
10 साल से नहीं बांटे गए जूते
NDTV के संवाददाता ईरफान खान ने विद्यालय पहुंचकर देखा तो विद्यालय का एक कमरा ताले से जड़ा हुआ था. उस कमरे में आक्याखेड़ा विद्यालय व आसपास के राजकीय विद्यालयों की बालिकाओं के लिए वर्ष 2016 में नन्ही कली योजना के अंतर्गत निःशुल्क जूते वितरित करने के लिए आए थे. लेकिन 10 सालों से इस और किसी जिम्मेदार का ध्यान इसपर नहीं गया.
जांच के लिए कमेटी गठित
10 मार्च को प्रकाशित NDTV की ख़बर को देखकर धरियावद मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी वीरेन्द्र सिंह शक्तावत ने संज्ञान लेते हुए एक टीम का गठन किया है, जिसमें एक प्रधानाचार्य सहित कुल तीन सदस्य है. टीम पूरे मामलें की जांच कर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी वीरेन्द्र सिंह शक्तावत को रिपोर्ट सौंपेगी. उसके पश्चात उक्त सामग्री आदिवासी बालिकाओं को वितरित की जाएगी.
क्या है नन्ही कली योजना
नन्ही कली योजना एक गैर-सरकारी संस्था है जो भारत में वंचित लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करती है, इस योजना की स्थापना आनंद महिंद्रा ने साल 1996 में की थी, इस योजना का मकसद लड़कियों को अच्छा प्रदर्शन करने और स्कूली शिक्षा पूरी करने में मदद करना है, इस योजना के ज़रिए लड़कियों को आत्मविश्वास भी दिया जाता है, इस योजना के तहत, कक्षा 1 से 10 तक की सरकारी स्कूलों की लड़कियों को कई तरह की सहायता दी जाती है, हर साल लड़कियों को एक सामग्री किट दी जाती है, इस योजना के तहत, किशोर लड़कियों को जीवन कौशल और डिजिटल कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
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