Rajasthan News: राजस्थान के निजी मेडिकल कॉलेजों को अब मनमाने ढंग से फीस वसूलने की छूट नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने सख्त नियम लागू किए हैं. चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी निजी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों को शुल्क निर्धारण समिति द्वारा तय फीस का पालन करने का आदेश दिया है. इस कदम से छात्रों को आर्थिक शोषण से राहत मिलेगी और चिकित्सा शिक्षा में पारदर्शिता आएगी.
फीस वसूली में मनमानी पर शिकायतें
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि कई निजी मेडिकल कॉलेज 15 प्रतिशत सीटों को मैनेजमेंट कोटा बताकर अतिरिक्त फीस वसूल रहे थे. यह राशि शुल्क निर्धारण समिति द्वारा तय की गई फीस से कहीं अधिक थी. छात्रों और अभिभावकों की शिकायतों के बाद सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला किया. कुछ कॉलेजों ने यूजी काउंसलिंग बोर्ड की वेबसाइट पर भी गलत फीस दिखाकर नियमों की अनदेखी की. यह सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लंघन है जिसमें शिक्षा को व्यापार बनाने पर रोक लगाई गई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आधार
सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामिक एकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य मामले में साफ कहा था कि निजी शिक्षण संस्थानों को फीस और प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता बरतनी होगी. इसी के तहत राजस्थान सरकार ने सभी निजी मेडिकल कॉलेजों को राज्य स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति की तय फीस का पालन करने का निर्देश दिया है. इसका उल्लंघन करने वाले कॉलेजों पर अब सख्त कार्रवाई होगी.
ज्यादा फीस वसूली तो होगी कड़ी कार्रवाई
नए आदेश के मुताबिक अगर कोई कॉलेज तय फीस से ज्यादा राशि वसूलता है तो उसे 12 प्रतिशत सालाना ब्याज के साथ छात्रों को राशि लौटानी होगी. इतना ही नहीं नियम तोड़ने वाले कॉलेज की राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (आरयूएचएस) और अन्य मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्धता रद्द की जा सकती है. कॉलेज की संपत्ति से अतिरिक्त फीस की वसूली होगी और प्रभावित छात्रों को दूसरे कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाएगा. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) को भी इसकी जानकारी दी जाएगी.
पारदर्शिता से बेहतर होगी चिकित्सा शिक्षा
यह आदेश चिकित्सा शिक्षा को और सुलभ बनाने में मदद करेगा. मेरिट के आधार पर प्रवेश प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को लाभ होगा. शिक्षा में व्यावसायीकरण पर रोक लगने से गुणवत्ता में सुधार होगा और योग्य डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी. इससे स्वास्थ्य सेवाओं को भी बल मिलेगा. ईमानदार संस्थानों को बराबर का मौका मिलेगा जिससे शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा.
छात्रों और अभिभावकों के लिए सलाह
चिकित्सा शिक्षा सचिव ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वे प्रवेश से पहले कॉलेज की आधिकारिक फीस सूची जरूर जांच लें. अगर कोई कॉलेज मनमानी फीस मांगता है तो तुरंत चिकित्सा शिक्षा विभाग या शुल्क निर्धारण समिति में शिकायत करें. यह कदम न केवल छात्रों के हितों की रक्षा करेगा बल्कि शिक्षा व्यवस्था को और पारदर्शी बनाएगा.
भविष्य के लिए सकारात्मक कदम
राज्य सरकार का यह आदेश निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस की मनमानी पर लगाम लगाने वाला एक बड़ा कदम है. इससे न केवल शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा बल्कि छात्रों का भरोसा भी बढ़ेगा. चिकित्सा शिक्षा को किफायती और गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल है.