Rajasthan News: राजस्थान के जनजाति जिले बांसवाड़ा (Banswara) में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग (Ministry of Women & Child Development) के माध्यम से योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. लेकिन आदिवासी बहुल जिले में कुपोषित बच्चों, गर्भवती तथा धात्री महिलाओं को दिया जा रहा पोषाहार गुणवत्ता के मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है. इसकी सच्चाई शहर के कई आंगनवाड़ी केंद्रों पर सामने आ है, जिसको लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने इसकी शिकायत की है.
खिचड़ी से मूंग की दाल गायब
इन केंद्रों पर संबंधित ठेकेदार द्वारा इसका वितरण किया जा रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते पोषक आहार में गड़बड़ी हो रही है. शहर के मुस्लिम कॉलोनी सहित अन्य क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग की शहरी परियोजना के अन्तर्गत आंगनवाड़ी केंद्र संचालित है. यहां बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली खिचड़ी में चावल तो नजर आते हैं, लेकिन इसमें से मूंग की दाल गायब है. पोषण के नाम पर सिर्फ पीले चावल ही दिए जा रहे हैं. इसके चलते मुस्लिम कॉलोनी ही नहीं, बल्कि अन्य स्थानों पर भी आंगनवाड़ी केंद्रों में लाभार्थी पोषाहार के यह पैकेट नहीं ले रहे हैं.
'हमें आगे से ही ऐसा मिला है'
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा कि पोषाहार का वितरण करने के लिए जब ठेकेदार का कार्मिक आया तो पैकेट देखकर कहा कि यह खराब है और वापस ले जाओ, तो कार्मिक ने कहा कि आगे से ही ऐसा मिला है. अधिकारियों से बात कर लो. कार्यकर्ता ने कहा कि जो सामग्री मिली, उसमें कुछ पैकेट अच्छे होने पर उसी का वितरण किया. खराब पैकेट किसी को वितरित नहीं किए हैं.
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
गुणवत्ताहीन पोषाहार मिलने पर शहर के वार्ड नंबर 60 के पार्षद स्नेहल जॉन, शाहरूख खान ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के कहने पर भी खराब पैकेट ठेकेदार नहीं ले जा रहा है. ऐसे में अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत साफ दिख रही है. गुणवत्ताहीन सामग्री का वितरण करने से गर्भवती महिला और बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं जिला कलेक्टर डॉ इंद्रजीत सिंह यादव ने महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक को निर्देश दिए हैं कि वह शिकायत को गंभीरता से लें और औचक निरीक्षण कर इसकी जांच करें.
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