Barmer News: भारत-पाक से सटे पश्चिमी राजस्थान का बाड़मेर जिला सिर्फ तपते रेत के धोरे, पानी की कमी सूखे और क्रूड ऑयल के अथाह भंडार के लिए ही नहीं जाना जाता है, यहां की एक और पहचान है- बाड़मेरी प्रिंट. पाकिस्तान के सिंध प्रांत से शुरू हुए अजरख प्रिंट के काम को भारत में आते-आते बाड़मेरी प्रिंट के रूप में नई पहचान मिली. आज इस प्रिंट की देश के साथ विदेश में भी खासी डिमांड है.
नियम और रजिस्ट्रेशन में परेशानी
बेड सीट, सलवार-सूट, साड़ी, रजाई, कुशन, कवर और पर्दे सहित कई चीजें इस प्रिंट से तैयार की जाती हैं, लेकिन आज के आधुनिक दौर में डिजिटल प्रिंट और मशीनरी के कारण हाथ से प्रिंट का काम देखने वाले कारीगरों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा हैं और इसके काम करने व्यापारियों को भी नियम और रजिस्ट्रेशन में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बाड़मेरी प्रिंट के लिए पहले लकड़ी के पेट पर खुदाई कर डिजाइन बनानी पड़ती है. उसके बाद खाने में उपयोग लिए जाने वाली ज्यादातर चीजों का उपयोग होता है.
इसके अलावा इसकी प्रिंटिंग में मुल्तानी मिट्टी, गाय का गोबर और नील का ज्यादा उपयोग होता है. अजरख बाड़मेर जैसलमेर सहित पाकिस्तान के सिंह इलाके की पहचान के तौर पर जाना जाता है. अजरख प्रिंट से बने गमछा बाहर से आने वाले मेहमानों को स्वागत के लिए पहनाया जाता है और बाड़मेर जैसलमेर सहित आसपास के इलाकों में कई महिलाएं अजरख और बाद में भी प्रिंट से बने कपड़े पहने जाते हैं. अजरखा को बाड़मेर की पहचान भी कहा जाता है.
विदेश में इस प्रिंटिंग की काफी डिमांड
इस प्रिंट की विशेषता ये है कि ज्यादातर प्रिंटिंग में खाने में उपयोग की चीजों का इस्तेमाल होता है. देश के साथ-साथ विदेशों में अच्छी खासी डिमांड है. इस काम में सबसे पुराना नाम है, पनिहारी प्रिंटिंग. जो साल 1976 से बाड़मेरी प्रिंटिंग का काम कर रहे हैं. इनकी बाड़मेर में ही रिटेल शॉप भी है, जहां पर अपनी ही प्रिंटिंग की फैक्ट्री में तैयार माल को बेचा जाता है. इसके अलावा उनके द्वारा तैयार माल अमेजॉन फ्लिपकार्ट फैबइंडिया जयपुर प्रिंट सहित कई ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर उपलब्ध है.
यह सब कंपनियां बाड़मेरी और अजरख प्रिंटिंग का तैयार माल इन्हीं से खरीदते हैं और देश के साथ-साथ विदेश में बेचते हैं. इस कपड़े को लेकर कहा जाता है कि इसमें उपयोग में ली जाने वाली प्राकृतिक चीजों से त्वचा से संबंधित तकलीफ कम होती, लेकिन आधुनिकता के दौर में हाथ से होने वाले अजरख प्रिंट के काम में काफी कमी देखने को मिल रही है. धीरे-धीरे इस काम में लगे व्यवसायियों का इससे मोह भंग हो रहा हैं.