Rajasthan BJP Candidate List: राजस्थान विधानसभा की उपचुनाव (Rajasthan Assembly By Election) वाली सात सीटों में से छह सीटों पर कांग्रेस (Congress) से पहले प्रत्याशी उतार पर भाजपा ने बड़ा दाँव चल दिया है. इन छह सीटों पर भाजपा का पूरा फ़ोकस केवल जिताऊ कैंडिडेट पर रहा है. यही वजह है कि परिवारवाद, सहानुभूति कार्ड चलने के साथ साथ बागियों को भी टिकट देने से पार्टी ने परहेज़ नहीं किया है. अभी चौरासी सीट से भाजपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा है.
दौसा में जगमोहन को टिकट देकर किरोड़ी लाल को मनाया
भाजपा दौसा से किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया गया है. सवाईमाधोपुर से किरोड़ी लाल मीणा के विधायक होने के साथ साथ उनके भतीजे राजेंद्र मीणा महुआ से विधायक हैं. जगमोहन मीणा को टिकट मिलने के पार्टी के भीतर किरोड़ी लाल मीणा की सियासी ताकत बढ़ी है.
पार्टी ने उनकी नाराज़गी को भी दूर करने का प्रयास किया है. किरोड़ी लाल मीणा ने पिछले कई चुनावों में जगमोहन मीणा की टिकट के प्रयास किए थे लेकिन बात नहीं बन पाई थी. माना जा रहा है कि जगमोहन मीणा को प्रत्याशी बनाने से किरोड़ी लाल मीणा अपना इस्तीफ़ा वापस ले सकते है.
सलूम्बर में सहानुभूति कार्ड
इसी प्रकार सलूम्बर सीट से सहानुभूति कार्ड के चलते दिवगंत विधायक अमृतलाल मीणा की पत्नी को भी पार्टी ने चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट से उनके बेटे अविनाश के नाम पर भी गंभीरतापूर्वक विचार हुआ लेकिन फाइनली पार्टी ने पत्नी अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी को टिकट दिया है. कांग्रेस सरकार के समय उपचुनाव में सहानुभूति कार्ड कारगर रहा था. शांता देवी अभी सेमारी से सरपंच हैं.
रामगढ़ में जिसने भाजपा की जमानत जब्त करवाई, उसी को टिकट
इसी तरह से रामगढ़ की सीट पर पिछली बार के निर्दलीय कैंडिडेट रहे सुखवंत सिंह को पार्टी ने मौक़ा दिया है. लक्ष्मणगढ़ पंचायत समिति के प्रधान रहे सुखवंत सिंह को वर्ष 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान ही बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह का निधन हो गया था फिर इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिसमें बहुजन समाज पार्टी ने जगत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया और कांग्रेस की उम्मीदवार सफिया खान से चुनाव हार गए.
इसके बाद वर्ष 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में सुखवंत सिंह ने टिकट की दावेदारी की लेकिन चुनाव की टिकट की दौड़ में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्ञान देव आहूजा के भतीजे जय आहूजा आगे रहे और सुखवंत सिंह ने चंद्रशेखर रावण की पार्टी आजाद समाजवादी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रहे.
भूपेंद्र यादव ने भाजपा में कराई थी वापसी
2018 में में सुखवंत सिंह ने 72, 700 वोट हासिल किया वहीं 2023 में 74559 वोट प्राप्त किए और दूसरे नंबर पर रहे. आलम यह रहा कि भाजपा प्रत्याशी की यहां जमानत जब्त हो गई थी. भारतीय जनता पार्टी ने बागी चुनाव लड़े सुखवंत सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया था लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में सुखवंत सिंह ने फिर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली थी.
बेनीवाल से टक्कर लेगें उनके पुराने सहयोगी
हनुमान बेनीवाल के खींवसर सीट के क़िले को फ़तह करने के लिए भाजपा ने हनुमान बेनीवाल के पुराने सहयोगी रहे और पिछली बार के कैंडिडेट को ही चुनावी मैदान में उतारा है. 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे रेवंतराम डांगा पर भाजपा ने फिर से भरोसा किया है.
कभी हनुमान बेनीवाल के ख़ास नेता रहे रेवंतराम डांगा पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आर एलपी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और हनुमान बेनीवाल के सामने चुनाव लड़ा था. केवल 2069 वोटों से चुनाव हारने वाले रेवंतराम डांगा के नाम पर पार्टी के सभी नेताओं की पहले दिन से ही सहमति थी.
देवली उनियारा में बैसला परिवार दरकिनार
इसके अलावा गुर्जर मीणा बहुल सीट देवली उनियारा पर भाजपा ने बैसला परिवार को दरकिनार करते हुए पूर्व विधायक राजेन्द्र गुर्जर को टिकट दिया है. 2013 से 2018 देवली उनियारा से विधायक रहे है राजेंद्र गुर्जर युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रह चुके है और संघ पृष्ठभूमि से आते हैं. माना जा रहा है कि अब इस सीट पर कांग्रेस मीणा कैंडिडेट उतार सकती है.
बागी राजेंद्र भांबू को झुंझुनूं से दिया टिकट
शेखावाटी की कांग्रेस की मज़बूत सीट कही जाने वाली झुंझुनूं में भाजपा ने एक बार फिर राजेंद्र भांबू पर भरोसा जताया है. इससे पहले 2018 में राजेंद्र भांबू को भाजपा ने टिकट दिया था. इसके बाद 2023 में भांबू का टिकट काटा तो उन्होंने बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा और 42 हजार से अधिक वोट प्राप्त कर अपनी ताकत दिखाई. अब एक बार फिर भाजपा ने राजेंद्र भांबू को उप चुनावों के लिए टिकट दिया है.
जीत के लिए किसी का भी साथ मंजूर
कुल मिलाकर भाजपा अच्छे से जानती है कि उप चुनाव उनके लिए बड़ी चुनौती है लिहाज़ा हर उस प्रत्याशी के नाम पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया है जो पार्टी को जीत दिला सके और छह सीटों के नामों को देखकर यही लग रहा है जीतने के लिए पार्टी को किसी भी नेता प्रत्याशी को साथ लेने से कोई गुरेज़ नहीं है.
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