राजस्थान के चुनाव में प्रत्याशी अलग-अलग अंदाज में प्रचार कर रहे हैं. डूंगरपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी और पेशे से चिकित्सक डा. दीपक घोगरा स्टेथेस्कोप लेकर चुनाव प्रचार के लिए निकलते हैं. प्रचार के दौरान लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित सलाह भी देते हैं. स्टेथेस्कोप गले में डालकर चुनाव प्रचार करने की वजह से इलाके में दीपक घोगरा काफी चर्चित हो गए हैं.
कोर्ट से मिली है चुनाव लड़ने की इजाजत
डूंगरपुर सरकारी अस्पताल में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत डॉ दीपक पहली बार मैदान में हैं. 43 वर्षीय दीपक घोगरा की चुनावी मैदान में आने की कहानी बहुत दिलचस्प है. दरअसल, दीपक घोगरा को चुनाव लड़ने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
चुनाव हारने पर नौकरी में लौटने का मिला विकल्प
वे कहते हैं, ‘सरकारी सेवा में होने की वजह से मैं नहीं चाहता था कि कोई कानूनी पेंच आए, इसलिए मैंने वकील की सलाह पर हाईकोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने दीपक को चुनाव लड़ने की इजाजत भी दी और साथ ही चुनाव हारने की स्थिति में नौकरी में लौटने का विकल्प भी दिया
20 हजार से ज्यादा प्रसव कराने का दावा
डॉ दीपक बताते हैं कि अपने सेवा काल के दौरान वे 20 हजार से ज्यादा प्रसव करा चुके हैं. सुदूर आदिवासी इलाके में गांव-गांव में लोग उन्हें जानते हैं. उन्होंने कहा कि अब वे स्वास्थ्य सेवा से समाज सेवा की ओर आना चाहते हैं. डूंगरपुर में बेहतर शिक्षा व्यवस्था, रोजगार, स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने और प्रकृति की रक्षा उनका मुख्य मुद्दा है.
डूंगरपुर सीट पर डाक्टर बनाम नर्स की लड़ाई
गौरतलब है बीटीपी से उम्मीदवार दीपक घोगरा समेत 9 उम्मीदवार डूंगरपुर सीट से मैदान में हैं. इनमें भाजपा से बंशीलाल कटारा, कांग्रेस से गणेश घोगरा, भारत आदिवासी पार्टी से कांतिलाल रोत और निर्दलीय उम्मीदवार देवराम रोत प्रमुख हैं. भाजपा प्रत्याशी बंशीलाल कटारा भी चिकित्सा सेवा से जुड़े रहे हैं, वे नर्स रहे हैं. इसलिए सीट पर डॉक्टर बनाम नर्स की चुनावी लड़ाई भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.